बिहार विधानसभा चुनाव 2025: प्रमुख दलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा

बिहार में अक्टूबर से नवंबर 2025 के बीच विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, जिसमें भाजपा और जेडीयू के एनडीए तथा आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस बार चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है। चुनाव आयोग ने अभी तक कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है, लेकिन चुनाव 22 नवंबर से पहले होने की उम्मीद है। मुख्य चुनाव आयुक्त इस महीने बिहार का दौरा करेंगे और चुनावी तैयारियों की समीक्षा करेंगे।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: प्रमुख दलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा

बिहार में चुनावी माहौल

बिहार में इस वर्ष अक्टूबर से नवंबर के बीच विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) तथा राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी इस बार चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है और सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।


चुनाव कार्यक्रम की तैयारी

हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन उम्मीद है कि चुनाव 22 नवंबर, 2025 से पहले संपन्न होंगे। आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है। सूत्रों के अनुसार, 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव दो से तीन चरणों में आयोजित किए जा सकते हैं। दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों को ध्यान में रखते हुए चुनाव कार्यक्रम की योजना बनाई जा रही है।


चुनाव प्रक्रिया का समय

इस समय तक मतदान, मतगणना और मुख्यमंत्री की घोषणा सहित सभी चुनावी प्रक्रियाएं पूरी हो जानी चाहिए। बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान इस साल अक्टूबर या नवंबर में हो सकता है। आदर्श आचार संहिता सितंबर से अक्टूबर के बीच लागू होने की संभावना है। पिछले दो चुनावों में भी बिहार में कई चरणों में मतदान हुआ था। 2020 में, मतदान तीन चरणों में हुआ था, जबकि 2015 में यह पांच चरणों में आयोजित किया गया था।


चुनाव आयोग की तैयारियां

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस महीने के अंत में बिहार का दौरा करेंगे ताकि चुनावी तैयारियों की समीक्षा की जा सके। इस बीच, बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) सहित चुनाव अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में सटीकता सुनिश्चित की जा सके। आयोग का उद्देश्य महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में मतदाता सूची को लेकर उठे आरोपों से बचना है।