बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए का संकल्प पत्र जारी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए ने अपना संकल्प पत्र जारी किया है, जिसमें युवाओं को एक करोड़ नौकरियां, महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तिकरण, और शिक्षा को निशुल्क बनाने के वादे शामिल हैं। इस चुनाव में जातीय समीकरण और सामाजिक न्याय के मुद्दे भी महत्वपूर्ण रहेंगे। जानें और क्या-क्या वादे किए गए हैं और चुनाव की तैयारी कैसी है।
| Oct 31, 2025, 22:55 IST
एनडीए का संकल्प पत्र: प्रमुख वादे और योजनाएं
पटना में शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपना संकल्प पत्र प्रस्तुत किया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, हम के नेता जीतन राम मांझी और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा उपस्थित थे।
एनडीए के संकल्प पत्र में युवाओं के लिए एक करोड़ नौकरियों का वादा, अगले पांच वर्षों में 50 लाख करोड़ रुपये का निवेश, और हर जिले में ग्लोबल स्किलिंग सेंटर की स्थापना का उल्लेख किया गया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि यह कदम राज्य में रोजगार और उद्योग को नई दिशा देने का प्रयास है।
महिलाओं के लिए भी एनडीए ने कई महत्वपूर्ण वादे किए हैं। 'लखपति दीदी' योजना के तहत एक करोड़ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, राज्य में सात नए एक्सप्रेसवे का निर्माण और पटना के साथ चार अन्य शहरों में मेट्रो रेल सेवा शुरू करने की योजना भी शामिल है।
संकल्प पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि एनडीए सत्ता में आती है, तो केजी से पीजी तक की शिक्षा को निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण बनाया जाएगा। अत्यंत पिछड़े वर्गों के विभिन्न समुदायों को 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता देने का वादा भी किया गया है। इसके साथ ही, एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जो इन समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का आकलन कर सुधार संबंधी सुझाव सरकार को देगी।
बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे, पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का 11 नवंबर को होगा। मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी। एनडीए का यह घोषणापत्र राज्य में रोजगार, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता देता है, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जातीय समीकरण चुनावी मैदान में एक महत्वपूर्ण कारक बने रहेंगे।
यह चुनाव बिहार के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि एनडीए विकास और स्थिरता की बात कर रहा है, वहीं विपक्ष इसे सामाजिक न्याय और रोजगार के मुद्दे पर चुनौती देने की तैयारी में है। कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति में इस बार वादों से अधिक भरोसे की कसौटी परखने वाली है।
