बिहार विधानसभा चुनाव 2025: BJP ने बदली सियासी तस्वीर
बिहार चुनाव परिणामों ने बदला सियासी परिदृश्य
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने सभी पूर्वानुमानों को गलत साबित कर दिया है। इन नतीजों ने न केवल एग्जिट पोल्स को ध्वस्त किया, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नया तूफान भी ला दिया है। इस बार के चुनावी समीकरण ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बिहार में अभूतपूर्व ताकत प्रदान की है। अब BJP केवल अपने सहयोगियों के साथ चलने वाली पार्टी नहीं रह गई है, बल्कि यह बिहार की सबसे प्रमुख राजनीतिक शक्ति बनकर उभरी है। इन परिणामों ने BJP के लिए नए अवसर खोले हैं, जिससे वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बिना भी सत्ता में आ सकती है। यह एक ऐसा राजनीतिक नाटक है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। 11 में से अधिकांश एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए, लेकिन पोल डायरी ने NDA को 184 से 206 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। आज यह आंकड़ा लगभग 200 के आसपास पहुंच चुका है। लेकिन सभी की नजरें BJP के शानदार प्रदर्शन पर हैं, जिसने 'किंगमेकर' से 'किंग' बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
BJP का शानदार प्रदर्शन
इस बार BJP ने अपनी रणनीति और ताकत का ऐसा प्रदर्शन किया है कि सभी हैरान हैं। पार्टी ने 101 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए और 91 सीटों पर शानदार जीत हासिल की। इस अद्भुत प्रदर्शन के साथ BJP बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। यह दृश्य 2010 के विधानसभा चुनावों की याद दिलाता है, जब BJP ने इतनी ही सीटें जीती थीं, लेकिन उस समय JDU सबसे बड़ी पार्टी थी। अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है, और BJP ड्राइवर की सीट पर बैठी है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की JDU ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन 79 सीटों के साथ वह BJP से 12 सीट पीछे रह गई। यह 12 सीटों का अंतर बिहार की राजनीति की दिशा को बदल सकता है, क्योंकि इसने BJP को गठबंधन की मजबूरी से बाहर निकलने का एक बड़ा अवसर प्रदान किया है.
नीतीश के बिना सत्ता की संभावनाएं
चुनावी परिणामों ने BJP के लिए एक सुनहरा अवसर खोला है, जिसके माध्यम से वह JDU के बिना भी बिहार में सरकार बना सकती है। बिहार विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 है। यदि NDA के छोटे सहयोगियों को जोड़ा जाए, तो BJP का गणित कुछ इस प्रकार है: BJP के पास अकेले 91 सीटें हैं। इसमें चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की 21 सीटें जोड़ने पर यह संख्या 112 हो जाती है। इसके बाद, पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) की 5 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) की 4 सीटें मिलाकर यह संख्या 121 तक पहुंचती है। इसके अलावा, बहुजन समाज पार्टी (BSP) का एक उम्मीदवार भी जीतता दिख रहा है। यदि BSP का समर्थन मिल जाता है, तो BJP आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार कर सकती है। इतना ही नहीं, राजनीतिक जोड़-तोड़ के जरिए कुछ विपक्षी विधायकों को सदन से गैर-हाजिर कराकर भी बहुमत हासिल किया जा सकता है। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि BJP शायद ही इस रास्ते पर जाएगी, क्योंकि नीतीश कुमार आज भी बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम हैं और उनकी लंबी राजनीतिक विरासत है.
बिहार की जनता की नजरें
बिहार की जनता अब इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि क्या BJP नीतीश को छोड़कर अपनी स्वतंत्र राह चुनेगी, या फिर गठबंधन का रास्ता अपनाएगी.
