बिहार में सांप काटने से मृत बच्चे का शव गंगा में प्रवाहित करने की प्रथा

बिहार के आरा में एक बच्चे का शव सांप के काटने के बाद गंगा में प्रवाहित किया गया, जो एक पुरानी परंपरा का हिस्सा है। इस प्रथा के पीछे की मान्यता के अनुसार, सांप के काटने से मृत्यु होने पर शव को जलाने के बजाय गंगा में प्रवाहित किया जाता है, ताकि मृत आत्मा पुनर्जीवित हो सके। जानें इस पर शास्त्र के जानकारों की राय और इस प्रथा के पीछे के कारण।
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बिहार में सांप काटने से मृत बच्चे का शव गंगा में प्रवाहित करने की प्रथा

सांप के काटने से हुई मौत के बाद शव प्रवाहित करने की परंपरा

सांप काटने से हुई मौत के बाद शव को गंगा में प्रवाहित करने की प्रथा


बिहार के आरा में एक बच्चे का शव केले के थम पर बंधा हुआ गंगा में बहता हुआ पाया गया। यह घटना तब हुई जब बच्चे की सांप के काटने से मृत्यु हो गई। परिजनों ने शव का दाह संस्कार करने के बजाय उसे गंगा में प्रवाहित करने का निर्णय लिया। यह मान्यता है कि सांप के काटने से यदि किसी की मृत्यु होती है, तो शव को जलाने के बजाय गंगा में प्रवाहित किया जाता है, ताकि मृत आत्मा पुनर्जीवित हो सके।


यह घटना महुली गंगा घाट पर हुई, जहां एक वीडियो में देखा जा सकता है कि शव को नाव से गंगा की धारा में प्रवाहित किया जा रहा है। मृतक आदर्श कुमार, जो चमुखा गांव के विनय सिंह का 8 वर्षीय पुत्र था, को एक विषैले सांप ने सोते समय काट लिया था। इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।


विष्णु देव उपाध्याय, एक शास्त्र के जानकार, ने बताया कि प्राचीन मान्यता के अनुसार, सांप के काटने से मृत्यु होने पर शव को प्रवाहित करने का कारण यह है कि किसी तांत्रिक विद्या से मृत व्यक्ति को पुनर्जीवित किया जा सके। हालांकि, यह प्रथा अब कम देखने को मिलती है। इसे अंधविश्वास या चमत्कार के रूप में भी देखा जा सकता है।