बिहार में वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का आयोजन, कृषि मंत्री ने साझा की जानकारी
बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 के आयोजन की घोषणा की है, जो नई दिल्ली में होगा। इस आयोजन में 90 से अधिक देशों के प्रतिनिधि और हजारों प्रदर्शक शामिल होंगे। इसका उद्देश्य भारत को खाद्य प्रसंस्करण का वैश्विक केंद्र बनाना है। बिहार की कृषि उपलब्धियों पर भी चर्चा की गई, जिसमें धान, गेहूँ और मक्का के उत्पादन में वृद्धि शामिल है। उप मुख्यमंत्री ने मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के निर्णय की सराहना की। यह आयोजन किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद करेगा।
Sep 27, 2025, 19:56 IST
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बिहार में वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का आयोजन
बिहार के उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने जानकारी दी है कि वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 का आयोजन नई दिल्ली के भारत मंडपम में होने जा रहा है। पिछले संस्करणों की सफलता को देखते हुए, यह आयोजन अब तक का सबसे बड़ा होगा। इसमें 90 से अधिक देशों के प्रतिनिधि, 2,000 से अधिक प्रदर्शक और खाद्य मूल्य श्रृंखला से जुड़े हजारों हितधारक शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारत को खाद्य प्रसंस्करण और आपूर्ति का वैश्विक केंद्र बनाना है। यह सम्मेलन सरकारी प्रतिनिधियों, निवेशकों, और खाद्य कंपनियों के प्रमुखों के लिए एक साझा मंच प्रदान करेगा। विभिन्न क्षेत्रों के उत्पादक, खाद्य प्रसंस्करणकर्ता, उपकरण निर्माता, लॉजिस्टिक्स और कोल्ड चेन कंपनियों, तकनीकी प्रदाताओं, स्टार्ट-अप्स, नवप्रवर्तकों और खुदरा विक्रेताओं को अपनी क्षमताएं प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार खाद्यान्न आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। पिछले वर्षों में कृषि क्षेत्र में बिहार ने ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। वर्ष 2024-25 में राज्य में 33.45 लाख हेक्टेयर में धान की खेती से 99.34 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। इसी तरह, 23.40 लाख हेक्टेयर में गेहूँ से 78.27 लाख मीट्रिक टन और 9.55 लाख हेक्टेयर में मक्का से 66.03 लाख मीट्रिक टन उत्पादन दर्ज किया गया। मक्का की उत्पादकता 69.13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही, जो अब तक का सर्वोच्च स्तर है।
उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2024-25 में कुल 71.05 लाख हेक्टेयर में 249.21 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है। यह उपलब्धि किसानों की मेहनत, आधुनिक तकनीक और राज्य सरकार की दूरदर्शी नीतियों का परिणाम है। इस वर्ष औसत उत्पादकता 35.08 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही, जो बिहार के कृषि इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की तीन-चौथाई से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, जिनमें 91% से अधिक किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी के हैं। ऐसे किसानों को सशक्त बनाने के लिए राज्य में कृषि रोडमैप आधारित विकास रणनीति अपनाई गई है। वर्तमान में चौथा कृषि रोडमैप (2023-2028) लागू है, जिसके अंतर्गत फसल उत्पादन, उत्पादकता और विविधता में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ दशक में गेहूँ की उत्पादकता डेढ़ गुना, मक्का की उत्पादकता दो गुना और चावल की उत्पादकता ढाई गुना बढ़ी है। नकदी फसलों, बागवानी, फूलों की खेती और जल कृषि में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। बेहतर बीज, सिंचाई, मृदा स्वास्थ्य और कृषि ऋण तक किसानों की पहुँच में सुधार हुआ है। राज्य सरकार कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर 80% तक अनुदान दे रही है। इन उपलब्धियों के आधार पर बिहार को अब तक पाँच कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
उप मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मखाना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश के कुल मखाना उत्पादन का 85% बिहार में होता है। केंद्र सरकार द्वारा मखाना बोर्ड की स्थापना का निर्णय न केवल सराहनीय है, बल्कि यह राज्य के हजारों किसानों को प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने वाला कदम है। इससे लगभग 50 हजार मखाना उत्पादक किसान परिवार लाभान्वित होंगे और बिहार के मखाना को वैश्विक पहचान मिलेगी। राज्य सरकार की योजनाओं के अंतर्गत मखाना उत्पादन और प्रसंस्करण को गति दी जा रही है।
उप मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 जैसे आयोजनों से न केवल बिहार की कृषि संभावनाओं को सुदृढ़ किया जाएगा, बल्कि किसानों की आय में वृद्धि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि बिहार कृषि विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और राज्य सरकार किसानों के साथ हर कदम पर मजबूती से खड़ी है।