बिहार में मौसम में बदलाव: IMD ने जारी किया अलर्ट, किसानों की चिंताएं बढ़ीं

बिहार में मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है, जिसके चलते IMD ने अलर्ट जारी किया है। तेज पछुआ हवा के कारण तापमान में गिरावट आई है, जिससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मौसम का मिजाज ऐसा ही रहा, तो रबी फसलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जानें और क्या है स्थिति और किसानों की चिंताएं।
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बिहार में मौसम में बदलाव: IMD ने जारी किया अलर्ट, किसानों की चिंताएं बढ़ीं

बिहार का मौसम बदल रहा है

पटना। बिहार में मौसम में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। गुरुवार को तेज पछुआ हवा ने वातावरण में नमी बढ़ा दी, जिसके कारण शाम के समय तापमान में गिरावट आई। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर भारत में फिलहाल पछुआ हवा का प्रभाव है। अगले दो दिनों में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की कमी आने की संभावना है, जबकि अधिकतम तापमान सामान्य स्तर पर रहेगा। मौसम विज्ञानी संजय कुमार के अनुसार, राज्य का मौसम लगातार बदल रहा है। कभी वातावरण शुष्क हो जाता है, तो कभी पछुआ हवा की गति बढ़ने पर सुबह और शाम में ठंड बढ़ जाती है। इस तरह की स्थिति इस महीने के अंत तक बनी रह सकती है.


औरंगाबाद में तापमान की स्थिति

गुरुवार को राज्य का सबसे गर्म स्थान औरंगाबाद रहा, जहां अधिकतम तापमान 31.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, न्यूनतम तापमान 10.2 डिग्री सेल्सियस रहा। राजधानी पटना में न्यूनतम तापमान 16.5 और अधिकतम तापमान 29.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।


राजधानी में मौसम की स्थिति

पटना में हवा में आर्द्रता 70 प्रतिशत रही। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य में मौसम में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। वर्तमान में राज्य का न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक है।


भागलपुर का मौसम

भागलपुर में आज सुबह हल्का कोहरा रहेगा, लेकिन धूप निकलने की संभावना है। दिन में गर्मी महसूस होगी और तेज पछुआ हवा चलने की उम्मीद है। शाम से सुबह तक ठंड का असर बना रहेगा।


किसानों की चिंताएं

तेज धूप और पछुआ हवा के कारण किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि इसका असर रबी फसलों पर पड़ सकता है। यदि मौसम इसी तरह बना रहा, तो उपज में कमी आना निश्चित है, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है।


फसलों पर प्रभाव

किसान विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूनतम तापमान 15 फरवरी तक 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे होना चाहिए था, लेकिन क्षेत्र में यह 12 से 13 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। इसके चलते गेहूं, सरसों, मसूर, चना और अन्य फसलों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा। रबी फसलों के लिए ठंडे मौसम और ओस गिरने की प्रक्रिया आवश्यक होती है।