बिहार में मतदाता सूची पर चुनाव आयोग का बयान: कोई आपत्ति नहीं मिली

भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के मसौदे पर किसी भी राजनीतिक दल से कोई आपत्ति नहीं मिलने की जानकारी दी है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अंतिम सूची में योग्य मतदाताओं को शामिल किया जाएगा। विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत, आयोग ने 5,015 दावे और 27,517 नए मतदाता फॉर्म प्राप्त किए हैं। इस प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक विवाद भी उठ रहे हैं, जिसमें विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इससे कई मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
 | 
बिहार में मतदाता सूची पर चुनाव आयोग का बयान: कोई आपत्ति नहीं मिली

बिहार में मतदाता सूची का मसौदा

भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने गुरुवार को जानकारी दी कि बिहार में मतदाता सूची के मसौदे पर किसी भी राजनीतिक दल से कोई दावा या आपत्ति नहीं आई है। आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि अंतिम मतदाता सूची में किसी भी योग्य मतदाता को बाहर नहीं रखा जाएगा और न ही किसी अयोग्य मतदाता को शामिल किया जाएगा। आयोग ने 1 अगस्त को जारी की गई बिहार की मतदाता सूची के मसौदे में त्रुटियों को सुधारने के लिए दावे और आपत्तियाँ प्रस्तुत करने की अपील की है।


 


हालांकि, बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत एक दैनिक बुलेटिन में, चुनाव आयोग ने बताया कि उसे अब तक मसौदा सूची के संबंध में मतदाताओं से 5,015 दावे और आपत्तियाँ प्राप्त हुई हैं। नए मतदाताओं से प्राप्त फॉर्म की संख्या 27,517 है। नियमों के अनुसार, दावों और आपत्तियों का निपटारा संबंधित निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ/एईआरओ) द्वारा 7 दिनों के भीतर किया जाएगा।




एसआईआर के दिशा-निर्देशों के अनुसार, 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची से किसी भी नाम को ईआरओ/एईआरओ द्वारा जांच के बाद ही हटाया जा सकता है, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी को उचित अवसर दिया जाए। बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) ने राजनीतिक विवाद उत्पन्न कर दिया है। विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं। वे इस साल के मानसून सत्र की शुरुआत से ही बिहार एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर संसद में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।


 


इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग से एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की नई याचिका पर 9 अगस्त तक जवाब देने को कहा है, जिसमें एसआईआर अभियान के बाद बिहार की मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं किए गए 65 लाख मतदाताओं के आंकड़ों का खुलासा करने की मांग की गई है। एक एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संबंध में कोई विशेष जानकारी नहीं दी गई है कि कौन मतदाता मर चुका है और कौन स्थायी रूप से पलायन कर गया है।