बिहार में बढ़ते अपराध: जंगलराज की बहस और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

बिहार में हाल के दिनों में हुई हत्याओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक दल एक-दूसरे के शासन को जंगलराज करार देने में लगे हैं। इस लेख में जानें कि लालू यादव और नीतीश कुमार में से किसके शासन को जंगलराज कहा जाए और बिहार में अपराध की स्थिति क्या है। क्या यह चुनावी राजनीति का हिस्सा है? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
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बिहार में बढ़ते अपराध: जंगलराज की बहस और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

बिहार में बढ़ते हत्याओं का सिलसिला

बिहार में बढ़ते अपराध: जंगलराज की बहस और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

पूर्व सीएम लालू यादव और मौजूदा सीएम नीतीश कुमार

बिहार में लगातार हो रही हत्याओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जातीय आधार पर हो रही इन हत्याओं ने राजनीतिक माहौल को और भी गर्म कर दिया है। चुनावी मौसम में, जंगलराज का मुद्दा प्रमुखता से उठाया जा रहा है। सभी दल एक-दूसरे के शासन को जंगलराज करार देने में लगे हैं। इस संदर्भ में, यह जानना आवश्यक है कि लालू यादव और नीतीश कुमार में से किसके शासन को जंगलराज कहा जाए।

हाल ही में हुई कुछ प्रमुख घटनाओं में, 29 अक्टूबर को सीवान में दरोगा अनिरुद्ध कुमार की हत्या कर दी गई। इसके बाद, 30 अक्टूबर को मोकामा में दुलारचंद यादव को दिनदहाड़े गोली मारी गई और आज सुबह आरा में प्रमोद महतो और उनके बेटे की हत्या कर दी गई।

चुनाव से पहले राजनीतिक गतिविधियाँ तेज

इन घटनाओं के बाद, राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं, खासकर 6 नवंबर को होने वाली पहले चरण की वोटिंग से पहले। नीतीश कुमार को उनके समर्थकों द्वारा सुशासन बाबू के नाम से जाना जाता है। जंगलराज का मुद्दा हमेशा से बिहार में चुनावी राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

लालू-नीतीश का 35 साल का शासन

बिहार में पिछले 35 वर्षों से लालू यादव और नीतीश कुमार का शासन रहा है। 2005 से पहले, लालू परिवार की सरकार थी, जबकि उसके बाद से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। दोनों नेता एक-दूसरे के शासन को जंगलराज बताते रहे हैं।

अब सवाल यह है कि बिहार में किसके शासन को जंगलराज माना जाए। अपराध की घटनाएँ तब भी होती थीं और अब भी हो रही हैं। विपक्ष नीतीश सरकार के सुशासन की तुलना जंगलराज से कर रहा है, जबकि जेडीयू लालू यादव के शासन को याद दिला रही है।

हत्याओं की संख्या का विश्लेषण

– NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 1992 में बिहार में 1,31,000 अपराध हुए थे, जिनमें 5,743 हत्याएँ शामिल थीं। उस समय लालू यादव मुख्यमंत्री थे।

– 2004 में, अपराध के मामलों की संख्या 1,15,000 से अधिक थी, जिसमें 3,800 हत्याएँ थीं। उस समय राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं।

– नीतीश कुमार के शासन में, 2022 में लगभग 3,50,000 अपराध हुए, जिनमें 3,000 हत्याएँ शामिल थीं।

हालांकि, हत्याओं की संख्या में कमी आई है, लेकिन अन्य अपराधों में वृद्धि हुई है। कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि पहले अपराध की रिपोर्टिंग कम होती थी, लेकिन यह भी सच है कि अपराध के प्रति जिम्मेदारी से बचा नहीं जा सकता।

मोकामा: जंगलराज का केंद्र

मोकामा इस समय बाहुबलियों की लड़ाई का केंद्र बन गया है। यहाँ दुलारचंद यादव की हत्या का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस मामले में अनंत सिंह सहित अन्य पर केस दर्ज किया गया है।

इस प्रकार, बिहार में बढ़ते अपराध और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने एक बार फिर जंगलराज के मुद्दे को गरमा दिया है।