बिहार में नीतीश कुमार का टोपी पहनने से इनकार, राजनीतिक विवाद बढ़ा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक मदरसा कार्यक्रम में टोपी पहनने से इनकार कर दिया, जिससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। इस घटना ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाए हैं। नीतीश के इस कदम ने विपक्ष को मौका दिया है कि वे उनकी छवि पर सवाल उठाएं। इस घटनाक्रम के पीछे की राजनीति और जेडी(यू) के मुस्लिम नेताओं का पार्टी छोड़ना भी चर्चा का विषय है। जानें इस घटनाक्रम के सभी पहलुओं के बारे में।
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बिहार में नीतीश कुमार का टोपी पहनने से इनकार, राजनीतिक विवाद बढ़ा

नीतीश कुमार के कार्यक्रम में हंगामा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक कार्यक्रम में हंगामा मच गया जब उन्होंने टोपी पहनने से इनकार कर दिया। इस घटना के दौरान कई मंत्री मंच छोड़कर भाग गए। यह घटना तब हुई जब नीतीश कुमार गुरुवार को राज्य मदरसा बोर्ड के एक समारोह में शामिल हुए थे। उन्हें टोपी पहनने से मना करते देख विपक्ष ने उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल उठाए। यह विवाद बिहार चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक तापमान को बढ़ा रहा है, क्योंकि नीतीश को पहले इफ्तार पार्टियों और इस्लामी आयोजनों में टोपी पहने देखा गया है।


घटना का विवरण

यह घटना पटना में राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के शताब्दी समारोह के दौरान हुई। वायरल हो रहे वीडियो में, एक सदस्य नीतीश के सिर पर मुस्लिम टोपी पहनाने की कोशिश करता है, लेकिन मुख्यमंत्री इसे लेने से मना कर देते हैं। मंच पर तस्वीर खिंचवाने के बाद, अल्पसंख्यक मंत्री ज़मा खान फिर से नीतीश को टोपी पहनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन नीतीश इसे उनके सिर पर रख देते हैं।


बिहार चुनाव की पृष्ठभूमि

यह घटनाक्रम बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुआ है, जहां मुसलमानों की आबादी लगभग 18% है और कई सीटों पर उनका प्रभाव है। नीतीश पिछले वर्षों में इफ्तार आयोजनों में पारंपरिक कपड़े पहने नजर आए हैं, लेकिन इस साल मार्च में आयोजित इफ्तार पार्टी में वह बिना पारंपरिक कपड़े के थे। बार-बार पार्टी बदलने के कारण उन्हें "पलटू चाचा" की उपाधि मिली है। हाल ही में, जेडी(यू) की राजनीति ने मुस्लिम समुदाय के एक हिस्से को अलग-थलग कर दिया है।


जेडीयू के मुस्लिम नेताओं का पार्टी छोड़ना

इस साल की शुरुआत में नीतीश द्वारा एक विधेयक का समर्थन करने के बाद, कम से कम पांच मुस्लिम जेडी(यू) नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी। यह विधेयक अप्रैल में संसद में पारित हुआ था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आंशिक रोक लगा दी थी। जेडी(यू) की स्थिति और भी खराब हो गई है, क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची में संशोधन के कारण मुस्लिम बहुल जिलों में मतदाताओं के अधिकारों को प्रभावित करने की आशंका बढ़ गई है।