बिहार में जल-जीवन-हरियाली अभियान से जल संसाधनों में सुधार

बिहार में लघु जल संसाधन विभाग ने "जल-जीवन-हरियाली अभियान" के तहत जल संसाधनों में सुधार के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इस अभियान के माध्यम से 2,41,782 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई क्षमता विकसित की गई है और जल संचयन में भी वृद्धि हुई है। जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न जल संकट से निपटने के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। जानें इस अभियान के लाभ और इसके द्वारा सृजित रोजगार के अवसरों के बारे में।
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बिहार में जल-जीवन-हरियाली अभियान से जल संसाधनों में सुधार

जल-जीवन-हरियाली अभियान की सफलता

लघु जल संसाधन विभाग ने "जल-जीवन-हरियाली अभियान" के अंतर्गत राज्य में 2,41,782 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की क्षमता विकसित की है, साथ ही 993 लाख घनमीटर जल संचयन क्षमता का पुनर्स्थापन किया गया है। विभाग ने परंपरागत जल स्रोतों के पुनरुद्धार के लिए 2,507 योजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से 2,297 योजनाएं पूरी हो चुकी हैं। इन सभी योजनाओं के माध्यम से राज्य में 2,70,697 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई क्षमता को पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।


जल संकट का सामना

यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा में कमी और भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन के चलते बिहार के कई जिलों में जल संकट उत्पन्न हो गया है। इस समस्या से निपटने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2019 में "जल-जीवन-हरियाली अभियान" की शुरुआत की।


अभियान के लाभ

जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत लागू योजनाओं ने न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं, बल्कि जल स्रोतों में जल संचयन और सिंचाई क्षमता में भी महत्वपूर्ण वृद्धि की है। जल संग्रहण के परिणामस्वरूप भूगर्भ जल स्तर में सुधार हुआ है। इसके अलावा, आहर-पईनों, तालाबों और पोखरों के किनारे वृक्षारोपण से हरित क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है।