बिहार में चुनावी राजनीति: तेजस्वी यादव और विजय कुमार सिन्हा के बीच तीखी बहस

बिहार की राजनीति में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। सिन्हा ने आरजेडी की सोच को संविधान विरोधी बताते हुए आरोप लगाया कि उनका उद्देश्य संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करना है। वहीं, तेजस्वी ने चुनाव आयोग के विशेष पुनरीक्षण पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह गरीबों के अधिकारों को छीनने का प्रयास है। जानें इस राजनीतिक विवाद के पीछे की पूरी कहानी।
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बिहार में चुनावी राजनीति: तेजस्वी यादव और विजय कुमार सिन्हा के बीच तीखी बहस

बिहार की राजनीतिक स्थिति पर बयान

आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आरजेडी की सोच संविधान के खिलाफ है। उनका आरोप है कि आरजेडी का उद्देश्य संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करना और भ्रम का माहौल बनाना है। उन्होंने यह भी कहा कि आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन बंगाल की दिशा में बढ़ रहा है, और ममता बनर्जी का प्रभाव स्पष्ट है। सिन्हा ने यह भी कहा कि अब लोग भारत की नहीं, बल्कि बांग्लादेशियों की भाषा बोलने लगे हैं।


 


भाजपा के नेता ने आगे कहा कि जब भारत का चुनाव आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ मतदाता सत्यापन करने का प्रयास कर रहा है, तो ऐसे में कुछ लोग क्यों चिंतित हैं? उन्होंने यह भी कहा कि जंगलराज में काम कर रहे लोग अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगली बार उनकी सरकार नहीं बनेगी। ऐसे लोग संविधान के खिलाफ और लोकतंत्र के दुश्मन हैं, जो परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।


 


भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के निर्देश जारी किए हैं, जिसका अर्थ है कि बिहार के लिए मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार किया जाएगा। इस पर सियासत तेज हो गई है। तेजस्वी यादव ने निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस विशेष पुनरीक्षण का मतलब है कि 8 करोड़ बिहारियों की मतदाता सूची को नजरअंदाज किया जा रहा है।


 


तेजस्वी ने सवाल किया कि चुनाव से 2 महीने पहले ऐसा कदम क्यों उठाया जा रहा है? क्या 25 दिनों में 8 करोड़ लोगों की मतदाता सूची बनाना संभव है? उन्होंने कहा कि मांगे गए दस्तावेज़ गरीबों के पास शायद ही हों। उन्होंने यह भी कहा कि उनका प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से संपर्क करेगा। सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी डरे हुए हैं और वे गरीबों का नाम मतदाता सूची से हटाना चाहते हैं।