बिहार में गंगा सफाई पर राजनीतिक विवाद: कांग्रेस का आरोप

बिहार में चुनावी माहौल में गंगा सफाई का मुद्दा गरमा गया है। कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि गंगा का पानी न तो पीने योग्य है और न ही स्नान के लिए। सांसद मनोज कुमार ने 'नमामि गंगे' योजना के तहत किए गए वादों को झूठा बताया है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ।
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बिहार में गंगा सफाई पर राजनीतिक विवाद: कांग्रेस का आरोप

गंगा सफाई का मुद्दा बिहार में गरमाया

बिहार में चुनावी माहौल तेज हो गया है, और इस बार गंगा नदी की सफाई को लेकर बहस छिड़ गई है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने एक रैली में विपक्ष पर तीखे हमले किए, जबकि कांग्रेस ने केंद्र और नीतीश कुमार की सरकार पर गंगा की स्थिति को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि गंगा का पानी न तो पीने के लिए सुरक्षित है और न ही स्नान के लिए।


सासाराम से पार्टी सांसद मनोज कुमार ने कहा कि 'नमामि गंगे' योजना के तहत गंगा के पानी को शुद्ध करने के जो वादे किए गए थे, वे पूरी तरह से 'झूठे' साबित हुए हैं.


सरकार पर गंभीर आरोप

कुमार ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने न तो बाढ़ नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम उठाए हैं और न ही गंगा का पानी पीने योग्य बनाया है।' उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बिहार सरकार पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।


कुमार ने आगे कहा, 'आज प्रधानमंत्री बिहार में थे, लेकिन उनके भ्रमण का कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। हम एक चौंकाने वाला खुलासा करने जा रहे हैं।'


गंगा की सफाई के वादे

कुमार ने आरोप लगाया कि जद (यू) और भाजपा सरकार ने 'नमामि गंगे' योजना के तहत गंगा के पानी को शुद्ध करने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने मां गंगा से झूठे वादे किए हैं।


एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में गंगा और उसकी सहायक नदियों के लिए बनाए गए 13 अवजल शोधन संयंत्रों (एसटीपी) में से केवल सात ही कार्यरत हैं।


कुमार ने कहा कि 'एफसी बैक्टेरिया' की अधिकता के कारण एनजीटी ने कहा है कि यह पानी न केवल पीने के लिए अनुपयुक्त है, बल्कि स्नान के लिए भी नहीं है। उन्होंने कहा, 'गंगा को हम पवित्र मानते हैं। हमारा विश्वास है कि यदि हम इस पानी का सेवन करते हैं, तो कई बीमारियाँ समाप्त हो जाती हैं।'