बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे पर विवाद, नीतीश कुमार की आपत्ति से मचा बवाल

बिहार में चुनावों से पहले एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर विवाद गहरा गया है। नीतीश कुमार ने नौ सीटों पर आपत्ति जताई है, जिससे सहयोगी दलों के बीच तनाव बढ़ गया है। इस मुद्दे पर बैठकें चल रही हैं, लेकिन स्थिति अभी भी जटिल बनी हुई है। जानें इस राजनीतिक घमासान के पीछे की वजहें और आगे की संभावनाएं।
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बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे पर विवाद, नीतीश कुमार की आपत्ति से मचा बवाल

बिहार में एनडीए में सीट बंटवारे का संकट

बिहार में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे पर विवाद, नीतीश कुमार की आपत्ति से मचा बवाल

पीएम मोदी, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन मांझी, नीतीश और चिराग।


बिहार में चुनावों से पहले महागठबंधन और एनडीए के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ गया है। इस मुद्दे पर मतभेदों को सुलझाने के लिए बैठकें चल रही हैं। रविवार को एनडीए के सहयोगी दलों ने सीट बंटवारे का ऐलान किया, लेकिन सोमवार को होने वाली संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को अंतिम समय में टाल दिया गया।


प्रेस कॉन्फ्रेंस को टालने का कारण केवल नीतीश कुमार की आपत्ति नहीं थी, बल्कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की। जीतन राम मांझी ने भी असंतोष जताया, हालांकि बाद में उन्होंने स्थिति को सामान्य बताया।


सूत्रों के अनुसार, दिल्ली में सीटों का बंटवारा तय हो गया था, लेकिन जब यह पटना पहुंचा, तो नीतीश कुमार ने नौ सीटों पर आपत्ति उठाई। इस कारण बंटवारे को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया। यह दर्शाता है कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की स्थिति अभी भी मजबूत है।


नीतीश कुमार की आपत्ति

जदयू के ललन सिंह और संजय झा एनडीए में बातचीत कर रहे थे, लेकिन जब सीटों का बंटवारा घोषित हुआ, तो नीतीश कुमार ने सवाल उठाया। इसके बाद संजय झा को बैठक बुलानी पड़ी। जदयू को 101 सीटें दी गई हैं, लेकिन नीतीश ने नौ सीटों पर आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि यह पार्टी के हित में नहीं है।


सूत्रों का कहना है कि मंत्री रत्नेश सदा की सीट एलजीपी (आर) को दे दी गई थी, जिसे नीतीश ने स्वीकार नहीं किया। उन्होंने रत्नेश को बुलाकर सोनवर्षा से सिंबल दिया। इसी तरह, अनंत सिंह को भी बुलाकर सिंबल दिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बिहार की राजनीति में निर्णय नीतीश कुमार के हाथ में है।


सीटों पर विवाद जारी

सूत्रों के अनुसार, मोरबा सीट एलजीपी (आर) को दी गई है, जिससे नीतीश कुमार नाराज हैं। बोधगया की सीट भी एलजीपी (आर) को दी गई है, जिससे बीजेपी के प्रेम कुमार का टिकट कट गया। इससे संदेश ठीक नहीं गया।


गोविंदगंज सीट पर भी स्थिति जटिल है। यहां राजू तिवारी को लड़ाने की योजना है, लेकिन बीजेपी इसे छोड़ना नहीं चाहती। राधा मोहन सिंह ने इस मामले में पेंच फंसा दिया है।


सूरजगढ़ा सीट को लेकर भी बीजेपी और जदयू के बीच मतभेद हैं। विश्वास प्रस्ताव का समर्थन प्रह्लाद यादव ने किया था, लेकिन ललन सिंह का कहना है कि यह सीट प्रह्लाद को नहीं मिलनी चाहिए।


बैठकों का दौर जारी

तेघड़ा में जदयू पिछली बार हार गई थी। वहां बीजेपी की भी रुचि है। सूत्रों के अनुसार, एलजीपी (आर) के राजकुमार मटिहानी से जीते थे और उनकी सीट कंफर्म हो गई है।


गोह सीट पर मनोज शर्मा को लड़ाने की योजना है, जबकि उपेंद्र कुशवाहा किसी और को लड़ाना चाहते हैं। इस प्रकार, नौ सीटों पर स्थिति अभी भी जटिल है। अमित शाह तीन दिनों तक बिहार में रहेंगे, और एनडीए एकजुट होकर उम्मीदवार उतारने की कोशिश करेगी।


हालांकि, चिराग पासवान की पार्टी की सीटों पर आपत्ति जताई जा रही है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग पासवान क्या निर्णय लेते हैं।


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