बिहार में एनडीए की जीत और झारखंड की राजनीतिक हलचल

बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने बहुमत हासिल किया है, जबकि झारखंड की राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। भाजपा प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक के ट्वीट ने नए राजनीतिक समीकरणों की चर्चा को जन्म दिया है। झामुमो और कांग्रेस के बीच संभावित मतभेदों के चलते झामुमो अब गठबंधन की समीक्षा करने पर विचार कर रहा है। जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे की कहानी और क्या हो सकता है आगे।
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बिहार में एनडीए की जीत और झारखंड की राजनीतिक हलचल

बिहार में एनडीए की बहुमत से वापसी

बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने बहुमत हासिल कर लिया है। यह गठबंधन एक बार फिर से शानदार जीत के साथ सत्ता में लौट आया है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में 10वीं बार शपथ लेने के लिए तैयार हैं। वहीं, झारखंड की राजनीति में भी तेजी से गतिविधियाँ बढ़ रही हैं। भाजपा प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक ने एक पोस्ट के माध्यम से राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि झारखंड में नया बम फटने वाला है, और हेमंत सोरेन अब सक्रिय होंगे। इस पोस्ट को सत्ता परिवर्तन से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने इसे बेबुनियाद बताया है.


झारखंड में संभावित राजनीतिक बदलाव

यह दावा किया जा रहा है कि बिहार में सीट बंटवारे के दौरान हेमंत सोरेन की पार्टी को सीटें न मिलने के कारण वह नाराज हैं। इसके चलते कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। खबरें हैं कि झारखंड में भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा मिलकर सरकार बना सकते हैं। इसी कारण से अजय आलोक के पोस्ट पर चर्चा तेज हो गई है। बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन की हार के बाद, झामुमो अब कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन की समीक्षा करने पर विचार कर रहा है।


झामुमो की स्थिति और चुनावी रणनीति

झामुमो महासचिव विनोद पांडे ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान राजद और कांग्रेस ने झामुमो के साथ तालमेल नहीं रखा। दोनों दलों ने झामुमो को कमतर आंका। यह ध्यान देने योग्य है कि बिहार विधानसभा चुनावों में एक प्रमुख सहयोगी होने के बावजूद, राजद ने झामुमो को एक भी सीट नहीं दी और कांग्रेस भी इस पर चुप रही। बाद में, झामुमो ने बिहार में चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया, यह कहते हुए कि यह उसके सहयोगियों द्वारा एक राजनीतिक साजिश के कारण हुआ।


झामुमो की चुनावी तैयारी

शुरुआत में, झामुमो ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में यह संख्या घटकर 12 रह गई। चुनाव के नजदीक आने पर, उन्होंने केवल छह सीटों पर समझौता करने की पेशकश की, जिसे कांग्रेस और राजद ने ठुकरा दिया। बिहार विधानसभा चुनावों ने झारखंड की राजनीतिक स्थिति में हलचल पैदा कर दी है, जिससे कांग्रेस और राजद को राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन में संभावित मतभेदों को संभालने के लिए तेजी से कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है।


डॉ. अजय आलोक का ट्वीट