बिहार महागठबंधन में गड़बड़ी: सीपीआई(एमएल) नेता ने दी जानकारी

महागठबंधन में सुलह की संभावना

महागठबंधन में कब हो पाएगी सुलह?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन एकजुटता का दावा कर रहा था, लेकिन चुनाव के दौरान यह पूरी तरह से बिखर गया है। कई छोटे दलों की नाराजगी स्पष्ट हो गई है। इसके अलावा, कुछ सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने हैं। इस स्थिति पर सीपीआई(एमएल) नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि इस बार गठबंधन बड़ा है, इसलिए समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
उन्होंने बताया कि वीआईपी पार्टी को इस महागठबंधन में शामिल करने की कोशिश की गई थी, जिससे सभी दलों को कुछ सीटें छोड़नी पड़ीं। इस प्रक्रिया में देरी के कारण हर निर्वाचन क्षेत्र में एकता नहीं बन पाई है, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि कोई दोस्ताना लड़ाई नहीं होगी और पूर्ण एकता की आवश्यकता है।
दीपांकर ने कहा कि जब तक नाम वापस नहीं लिए जाएंगे, तब तक सभी की नाराजगी दूर हो जाएगी।
#WATCH | Patna, Bihar | CPI(ML) leader Dipankar Bhattacharya says, “It’s a bigger coalition this time. The VIP party (Vikassheel Insaan Party) wanted to accommodate this new party. And that meant that everybody had to sacrifice a few seats. So the whole thing got a bit delayed. pic.twitter.com/LRuyLY1KVp
— Media Channel October 19, 2025
एनडीए को पिछली बार बाल-बाल बचाने का अनुभव
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में यह चुनाव बदलाव के लिए महत्वपूर्ण हैं। पांच साल पहले, बिहार कोरोना काल में चुनाव कराने वाला पहला राज्य था। उस समय किसी ने भी बिहार में विपक्ष की उम्मीद नहीं की थी, क्योंकि 2019 के चुनावों में एनडीए ने 39-1 से बढ़त बनाई थी। लेकिन उस समय बिहार ने एक ऐसा जनादेश दिया जो चौंकाने वाला था।
#WATCH | Patna, Bihar | CPI(ML) leader Dipankar Bhattacharya says, “These elections in Bihar are for change. Five years ago, Bihar was the first state to go to polls in the corona period. At that time, nobody expected any opposition in Bihar because in 2019, the NDA had soared in pic.twitter.com/Sza9gqZPmI
— Media Channel October 19, 2025
सीटों की संख्या में संतोष के लिए तैयार
भट्टाचार्य ने कहा कि दोनों गठबंधनों के बीच का अंतर लगभग 12,000 वोटों का था। इस बार हमारा गठबंधन बड़ा है। पिछली बार हमारी पार्टी के पास 19 सीटें थीं, लेकिन इस बार हमें उम्मीद है कि भाकपा-माले कम से कम 25 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि, चूंकि यह एक बड़ा गठबंधन है, हमें 20 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है। यह हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण लड़ाई है, लेकिन सभी साथी तैयार हैं।