बिहार चुनाव: सीमांचल और शाहाबाद-मगध में NDA और महागठबंधन की परीक्षा

बिहार विधानसभा चुनाव 2023 के दूसरे चरण में 122 सीटों के लिए मतदान 11 सितंबर को होगा। इस बार NDA और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है, खासकर सीमांचल और शाहाबाद-मगध क्षेत्रों में। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज और AIMIM की बढ़ती उपस्थिति ने चुनावी समीकरणों को बदल दिया है। 2020 में महागठबंधन ने इन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग नजर आ रही है। क्या एनडीए अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएगा या महागठबंधन फिर से जीत हासिल करेगा? जानें इस महत्वपूर्ण चुनाव के बारे में।
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बिहार चुनाव: सीमांचल और शाहाबाद-मगध में NDA और महागठबंधन की परीक्षा

बिहार चुनाव की तैयारी

बिहार चुनाव: सीमांचल और शाहाबाद-मगध में NDA और महागठबंधन की परीक्षा

बिहार विधानसभा चुनाव की 122 सीटों पर सभी दलों की अग्निपरीक्षा.


बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण 11 सितंबर को आयोजित होगा। इस चरण में 122 सीटों के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन सहित अन्य दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। यह चुनाव मुख्यतः बिहार के पांच क्षेत्रों में होगा, जिनमें सीमांचल, शाहाबाद-मगध, अंग प्रदेश, चंपारण और मिथिला क्षेत्र का मधुबनी शामिल है। इन क्षेत्रों में एनडीए और तेजस्वी यादव (महागठबंधन) की स्थिति का आकलन महत्वपूर्ण है।


राजनीतिक समीकरणों के अनुसार, सीमांचल और शाहाबाद-मगध में एनडीए की स्थिति कमजोर मानी जाती है, जबकि महागठबंधन और ओवैसी की AIMIM की पकड़ मजबूत होती दिख रही है। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी इन क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का दावा कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए ने सीमांचल में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग नजर आ रही है।


महागठबंधन का ऐतिहासिक प्रदर्शन


2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव और महागठबंधन ने 110 सीटों में से 46 सीटें मगध और शाहाबाद से जीती थीं, जबकि एनडीए को केवल 23 सीटें मिली थीं। इस बार प्रशांत किशोर की जनसुराज के मैदान में आने से समीकरण बदल गए हैं। ओवैसी ने महागठबंधन के वोटों में सेंध लगाने की कोशिश की है, जबकि जनसुराज ने एनडीए के वोटों को अपने पक्ष में किया है।


शाहाबाद और मगध में महागठबंधन की ताकत


शाहाबाद क्षेत्र में चार लोकसभा क्षेत्रों में 25 विधानसभा सीटें आती हैं। 2020 में इनमें से 20 सीटें महागठबंधन ने जीती थीं। मगध क्षेत्र में भी एनडीए को चुनौती मिल रही है। यह क्षेत्र यादव, कुर्मी, राजपूत और दलित वोटों का संतुलन रखता है।


सीमांचल और शाहाबाद-मगध में एनडीए की चुनौतियाँ


सीमांचल में धार्मिक ध्रुवीकरण और शाहाबाद-मगध में जातीय समीकरण एनडीए के लिए चुनौती बन गए हैं। यदि विपक्षी एकजुटता बनी रही, तो एनडीए को नुकसान हो सकता है। सीमांचल में 24 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया शामिल हैं।


सीमांचल में राजद की स्थिति


2020 में सीमांचल की 24 सीटों में से एनडीए ने 12, AIMIM ने 5 और महागठबंधन ने केवल 6 सीटें जीती थीं। ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्लिम युवाओं के बीच मजबूत पैठ बनाई थी और इस बार भी आक्रामक रणनीति के साथ चुनाव में उतरी है।


चंपारण और मधुबनी की महत्वपूर्ण सीटें


चंपारण और मिथिलांचल की 31 सीटें आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। 2020 में एनडीए ने इन क्षेत्रों में 34 सीटें जीती थीं। इस बार भी चुनाव करीबी होने की संभावना है।


2020 में NDA का प्रदर्शन


चंपारण और मिथिलांचल में एनडीए ने 41 में से 34 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन को केवल 7 सीटें मिली थीं। इस बार भी चुनाव में दोनों गठबंधनों के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है।