बिहार चुनाव: सट्टा बाजार में एनडीए की बढ़त, महागठबंधन को चुनौती
सट्टा बाजार में एनडीए की स्थिति
पटना, नगर संवाददाता। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान के बाद, सट्टा बाजार में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, राज्य की सत्ता एक बार फिर एनडीए के हाथों में जाने की संभावना है।
सट्टा बाजार का अनुमान है कि भाजपा-जदयू गठबंधन 128 से 138 सीटों के बीच जीत हासिल कर सकता है। कुछ सूत्रों के अनुसार, यह आंकड़ा 135 से 138 सीटों तक पहुंच सकता है, जो एनडीए की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सट्टा बाजार को एक 'सामाजिक तापमान' के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसे विश्वसनीय भविष्यवाणी नहीं माना जा सकता।
भारत में सट्टेबाजी अवैध है, फिर भी चुनावी मौसम में यह बाजार जनमानस के झुकाव का एक अनौपचारिक संकेत देता है। सट्टा बाजार में किसी राजनीतिक संभावना का मूल्य जितना कम होता है, उसके सच साबित होने की संभावना उतनी ही अधिक मानी जाती है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फिर से सत्ता में लौटने की संभावना 40 से 45 पैसे के बीच चल रही है, जो दर्शाता है कि सटोरिए उनके जीतने को लगभग निश्चित मान रहे हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति नीतीश कुमार की जीत पर ₹1000 लगाता है, तो जीतने पर उसे केवल ₹400 से ₹450 का लाभ मिलेगा।
इसके विपरीत, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए सट्टा बाजार का रुख उतना सकारात्मक नहीं है। राजद, कांग्रेस और वाम दलों के इस गठबंधन को केवल 93 से 100 सीटों के बीच आंका गया है। कुछ पोल महागठबंधन को बढ़त दे रहे हैं, लेकिन सट्टा बाजार के आंकड़े बताते हैं कि विपक्ष बहुमत से काफी पीछे रह सकता है।
सट्टा बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को 66 से 81 सीटें मिल सकती हैं, जिससे वह गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है। जदयू के लिए 42 से 56 सीटें आने का अनुमान है। सटोरियों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और नीतीश कुमार की प्रशासनिक छवि ने एनडीए की स्थिति को मजबूत किया है।
महागठबंधन की ओर से राजद को 69 से 78 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार की तुलना में कमजोर रहने की संभावना है। विपक्षी दल यह दावा कर रहे हैं कि जनता बदलाव चाहती है और सट्टा बाजार में दिख रही तस्वीर वास्तविकता से दूर है।
सट्टा बाजार के इन आंकड़ों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। एनडीए के नेता इसे जनता के मूड का संकेत मान रहे हैं, जबकि महागठबंधन इसे भ्रम फैलाने का प्रयास बता रहा है। तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं का कहना है कि बिहार की जनता अपने भविष्य के लिए सोच-समझकर मतदान करती है।
पहले चरण में 64.66 प्रतिशत से अधिक मतदान ने चुनावी परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि सट्टा बाजार का अनुमान कितनी सटीकता से वास्तविक नतीजों में बदलता है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ऊँची वोटिंग दर महागठबंधन के लिए फायदेमंद हो सकती है।
फिलहाल, सट्टा बाजार के 'भाव' यह संकेत दे रहे हैं कि हवा एनडीए की ओर बह रही है, लेकिन यह हवा कितनी स्थायी है, यह मतगणना के दिन ही स्पष्ट होगा। बिहार की राजनीति में कई बार ऐसा हुआ है कि सट्टा बाजार का अनुमान पूरी तरह उलट गया।
इस बार सट्टा बाजार ने चुनावी चर्चा को नई दिशा दी है। अब सभी इस इंतज़ार में हैं कि 14 नवंबर को मतगणना के दौरान क्या बाजार की भविष्यवाणी सच साबित होगी या बिहार की जनता कोई अप्रत्याशित फैसला सुनाएगी।
