बिहार चुनाव: महागठबंधन में डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर उठे सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन में तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। तेजस्वी यादव ने चुनावी वादों में सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दिया है। जानें इस राजनीतिक समीकरण के पीछे की सच्चाई और संभावित चुनौतियाँ।
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बिहार चुनाव: महागठबंधन में डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर उठे सवाल

बिहार की सियासत में हलचल

बिहार चुनाव: महागठबंधन में डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर उठे सवाल

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव.

बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से राज्य की राजनीति में तेजी आ गई है। एनडीए और महागठबंधन अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस बीच, विपक्षी गठबंधन तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर विचार कर रहा है, जिसमें एक डिप्टी सीएम दलित, दूसरा मुस्लिम और तीसरा अतिपिछड़ा वर्ग से होगा। इस संदर्भ में कांग्रेस की स्थिति पर भी चर्चा हो रही है।

सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन में आरजेडी द्वारा प्रस्तावित तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर कांग्रेस के कुछ सवाल उठे हैं। तेजस्वी यादव ओबीसी और मुकेश सहनी ईबीसी से आते हैं, जबकि कांग्रेस का भी ईबीसी और दलित पर ध्यान है। ऐसे में कांग्रेस को दलित डिप्टी सीएम बनाना आवश्यक होगा, अन्यथा उस पर आरोप लगेगा कि वह संघर्ष के लिए दलित को अध्यक्ष बनाती है लेकिन सत्ता किसी और को सौंपती है।

मुस्लिम समुदाय में गलत संदेश का खतरा

आरजेडी यदि मुस्लिम या अगड़ी जाति से डिप्टी सीएम बनाती है, तो महागठबंधन को सवर्ण विरोधी करार दिया जा सकता है। वहीं, यदि सवर्ण डिप्टी सीएम बनाया गया, तो मुस्लिम समुदाय में नकारात्मक संदेश जाएगा। ऐसे में ओबीसी सीएम के साथ डिप्टी सीएम की घोषणा करने पर दलित, ईबीसी, सवर्ण और मुस्लिम चारों को शामिल करना होगा, जिससे जनता में गलत संदेश जाएगा।

महागठबंधन की चुनौतियाँ

इस प्रकार, सरकार बनने से पहले महागठबंधन की छवि सत्तालोलुपता की बन सकती है। तेजस्वी यादव को मुकेश सहनी से बातचीत कर उन्हें अधिक सीटें देने का प्रयास करना चाहिए, भले ही कुछ सीटों पर आरजेडी अपने उम्मीदवार उतारे। कुल मिलाकर, तीन डिप्टी सीएम के फॉर्मूले पर कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाए हैं, जिससे महागठबंधन की स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है।

चुनावी वादों के संदर्भ में, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी का गठबंधन बिहार में सत्ता में आता है, तो राज्य के हर परिवार में कम से कम एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के लिए कानून लाया जाएगा। यह कानून सरकार बनने के 20 दिन के भीतर लागू किया जाएगा.