बिहार चुनाव: नीतीश कुमार का चिराग पासवान के खिलाफ नया कदम

बिहार में आगामी चुनावों के लिए राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। नीतीश कुमार ने चिराग पासवान की पार्टी LJP के खिलाफ नई रणनीति अपनाई है, जिसमें उन्होंने चार महत्वपूर्ण सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। जानें कैसे सीटों का बंटवारा और उम्मीदवारों का चयन चुनावी मुकाबले को प्रभावित कर सकता है। इस लेख में हम गायघाट, राजगीर, सोनबरसा और एकमा सीटों के चुनावी इतिहास और वर्तमान स्थिति पर चर्चा करेंगे।
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बिहार चुनाव: नीतीश कुमार का चिराग पासवान के खिलाफ नया कदम

बिहार में चुनावी हलचल

बिहार चुनाव: नीतीश कुमार का चिराग पासवान के खिलाफ नया कदम

चिराग पासवान और नीतीश कुमार

बिहार में अगले महीने होने वाले चुनावों से पहले NDA और महागठबंधन के बीच तनाव बढ़ गया है। चुनावी मुकाबले से पहले दोनों गठबंधनों में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है। महागठबंधन में सीटों पर चर्चा जारी है, जबकि NDA में सीटों का बंटवारा हो चुका है, फिर भी उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं।

कुशवाहा कम सीटें मिलने से असंतुष्ट हैं, वहीं नीतीश कुमार तारापुर सीट को लेकर नाराज हैं। उन्होंने नहीं चाहा कि बीजेपी सम्राट चौधरी को इस सीट से टिकट दे। इसके बावजूद, बीजेपी ने सम्राट को तारापुर से उम्मीदवार बना दिया। इसके तुरंत बाद, नीतीश ने उन सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए जो चिराग पासवान की LJP को मिली थीं।

जेडीयू ने चिराग की जिन सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें एकमा, गायघाट, राजगीर और सोनबरसा शामिल हैं। ये वही सीटें हैं जहां 2020 के चुनाव में एलजेपी ने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया था। गायघाट में नीतीश ने न केवल चिराग की सीट ली है, बल्कि उनके उम्मीदवार को भी पार्टी का सिंबल दे दिया है। जेडीयू ने LJP सांसद वीणा देवी की बेटी कोमल सिंह को उम्मीदवार बनाया है। राजगीर सीट से नीतीश ने कौशल किशोर को उतारा है, और सोनबरसा सीट से रत्नेश सदा को पार्टी का सिंबल दिया गया है।

नीतीश ने इन चार सीटों पर उम्मीदवार उतारकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। अब देखते हैं कि इन चार सीटों पर किस पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहा है।

गायघाट में LJP का प्रभाव

गायघाट, जो मुजफ्फरपुर जिले में स्थित है, एक जनरल कैटेगरी की सीट है। यहां 14 बार चुनाव हो चुके हैं। गायघाट का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प है। महेश्वर प्रसाद यादव ने यहां कई बार चुनाव लड़ा है और 1990 में निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की थी। 2020 में आरजेडी ने निरंजन रॉय को मैदान में उतारा, जिन्होंने 7566 वोटों से जीत दर्ज की। एलजेपी की उपस्थिति ने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया।

राजगीर में बीजेपी की सफलता

राजगीर सीट नालंदा जिले में आती है और यहां 16 चुनाव हो चुके हैं। बीजेपी ने यहां 9 बार जीत हासिल की है। सत्यदेव नारायण आर्य ने बीजेपी के लिए राजगीर से आठ बार जीत हासिल की। 2020 में जेडीयू के कौशल किशोर ने जीत दर्ज की।

सोनबरसा में जेडीयू की मजबूती

सोनबरसा, जो सहरसा जिले में है, 1951 से अस्तित्व में है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। जेडीयू ने यहां मजबूत पकड़ बनाई है और रत्नेश सदा ने पिछले तीन चुनावों में जीत हासिल की है।

एकमा में LJP का प्रभाव

एकमा विधानसभा सीट सारण जिले में है। यह सीट 1952 में स्थापित हुई थी और 2010 के बाद से नियमित रूप से चुनाव हो रहे हैं। 2020 में आरजेडी के श्रीकांत यादव ने जेडीयू की सीता देवी को हराया। एलजेपी का उम्मीदवार कामेश्वर कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहा।