बिहार चुनाव: एनडीए में सीट शेयरिंग पर चर्चा तेज, मांझी और चिराग की नजरें
बिहार चुनाव 2025 के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर हलचल तेज हो गई है। जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के बीच सीटों को लेकर असंतोष की स्थिति बनी हुई है। बीजेपी, जेडीयू और अन्य दलों के नेताओं की बैठकें चल रही हैं, जिसमें सीटों के बंटवारे पर चर्चा की जा रही है। जानें इस राजनीतिक उठापटक के पीछे की कहानी और क्या हो सकता है आगे।
Oct 7, 2025, 21:46 IST
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बिहार में एनडीए की बैठक की तैयारी

जीतन राम मांझी और चिराग पासवान
बिहार में राजनीतिक दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर हलचल बढ़ गई है। एनडीए के दलों के बीच आज दिल्ली में बैठकों का सिलसिला जारी रहा। अब कल, यानी बुधवार को पटना में एनडीए के सभी दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी-आर और अन्य दलों के प्रमुख नेता शामिल होंगे।
सूत्रों के अनुसार, जीतन राम मांझी, जो HAM पार्टी के प्रमुख हैं, मौजूदा सीटों के प्रस्ताव से असंतुष्ट हैं। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह भी जानकारी मिली है कि चिराग पासवान आज रात पटना लौट रहे हैं। कल खगड़िया में रामविलास पासवान की पुण्यतिथि का कार्यक्रम भी है, जिसमें वे भाग लेंगे।
जीतन राम मांझी की नाराजगी
बैठकों के बीच कुछ महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। बीजेपी और जेडीयू 103-103 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। वहीं, जीतन राम मांझी की पार्टी HAM 15 से 18 सीटों की मांग कर रही है। बीजेपी 7-8 सीट देने पर विचार कर रही है, जिससे मांझी की नाराजगी बढ़ रही है।
उपेंद्र कुशवाहा की मांग
उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए का हिस्सा हैं और वे 15 सीटों की मांग कर रहे हैं। चिराग पासवान को सबसे महत्वपूर्ण कड़ी माना जा रहा है, जो 40-50 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि बीजेपी 20 सीटों का प्रस्ताव दे रही है। यदि चिराग पासवान सहमत नहीं होते हैं, तो उन्हें एक विधान परिषद और एक राज्यसभा की सीट भी ऑफर की जा सकती है।
दिल्ली में चिराग से मुलाकात
सीटों के बंटवारे पर चर्चा करने के लिए बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान आज चिराग पासवान के दिल्ली आवास पर पहुंचे। इस बैठक में क्या चर्चा हुई, इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। चिराग और जीतन राम मांझी दोनों ही महत्वपूर्ण दावेदार हैं, और बीजेपी जानती है कि इन दोनों को नाराज करना भविष्य में समस्याएं पैदा कर सकता है।
चुनाव की घोषणा हो चुकी है, इसलिए राजनीतिक दल अब तेजी से सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय कर उम्मीदवारों की घोषणा करना चाह रहे हैं। उम्मीदवारों की घोषणा में देरी राजनीतिक दलों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।