बिहार चुनाव: अनंत सिंह के समर्थन में JDU की नई रणनीति
मोकामा विधानसभा सीट पर सियासी हलचल
अनंत सिंह और ललन सिंह
बिहार विधानसभा चुनाव में मोकामा सीट ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है। दुलारचंद यादव हत्या मामले के बाद से मोकामा की राजनीति गरमा गई है। जेडीयू के उम्मीदवार अनंत सिंह, जो इस मामले में आरोपी हैं, वर्तमान में बेऊर जेल में बंद हैं। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक उन्होंने जनता से समर्थन मांगा।
अब जब अनंत सिंह जेल में हैं, जेडीयू के प्रमुख नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने उनके लिए चुनावी प्रचार की जिम्मेदारी संभाल ली है। ललन सिंह की मोकामा में उपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह जानना जरूरी है कि जेडीयू ने ऐसा कदम क्यों उठाया।
ललन सिंह और सम्राट चौधरी का प्रचार
जेडीयू के अलावा, बीजेपी के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी अनंत सिंह के समर्थन में प्रचार करते हुए देखे गए। ललन सिंह और सम्राट एक ही जीप में सवार होकर मोकामा की जनता के बीच पहुंचे और अनंत सिंह के लिए वोट मांगा। ललन सिंह ने अनंत सिंह को फंसाने का आरोप भी लगाया।
जेडीयू की रणनीति में बदलाव
बिहार की राजनीति में जेडीयू ने अब तक हत्या जैसे गंभीर मामलों में किसी का खुला समर्थन नहीं किया है। नीतीश कुमार ने कई बार कहा है कि वे न तो किसी को बचाते हैं और न ही फंसाते हैं। लेकिन मोकामा में जो स्थिति बनी है, वह जेडीयू की पूर्व की रणनीति से भिन्न है।
अनंत सिंह के समर्थन में जो दृश्य देखने को मिला है, उसे राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। ललन सिंह और अनंत सिंह के बीच की नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं, चाहे वह 2004 का लोकसभा चुनाव हो या वर्तमान विधानसभा चुनाव।
जेडीयू की चुनावी रणनीति
चुनाव पर नजर रखने वालों का मानना है कि जेडीयू इस बार किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहती। उनकी कोशिश है कि अधिकतम सीटों पर उनके उम्मीदवार जीतें। इसका एक कारण यह भी है कि जितनी अधिक सीटें जेडीयू जीतेगी, उतनी ही उनकी ताकत एनडीए में बढ़ेगी।
अनंत सिंह का समर्थन क्यों?
जेडीयू की इस रणनीति में मोकामा सीट का चुनाव सही बैठता है। पहला कारण यह है कि अनंत सिंह की जीत की संभावनाएं अधिक हैं। उनके जेल जाने से जेडीयू इस सीट पर मजबूत हुई है। जेडीयू जानती है कि अनंत सिंह के जेल जाने से वोटों का ध्रुवीकरण होगा, जो उनके लिए फायदेमंद हो सकता है।
दूसरा कारण यह है कि अगर जेडीयू अनंत सिंह को अकेला छोड़ती है, तो इसका असर नवादा, बेगूसराय, मुंगेर और पटना की कई सीटों पर पड़ेगा। ये सीटें भूमिहार वोटरों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
तीसरा और अंतिम कारण यह है कि अगर अनंत सिंह मोकामा की लड़ाई हारते हैं, तो इसका सीधा असर ललन सिंह और उनके संबंधों पर पड़ेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह ने ललन सिंह के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इसलिए, जेडीयू अनंत सिंह के साथ खड़ी है और ललन सिंह मोकामा में चुनाव प्रचार करते हुए नजर आ रहे हैं। जेडीयू जानती है कि अनंत सिंह का समर्थन उनके लिए लाभदायक है।
