बिहार चुनाव 2025: महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी का महत्व

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिलाओं की भागीदारी ने एक नया मापदंड स्थापित किया है। पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान और महिलाओं की सक्रियता ने लोकतंत्र को मजबूती दी है। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे महिला केंद्रित योजनाओं ने मतदान प्रतिशत को प्रभावित किया है और बिहार में महिलाओं की साक्षरता और जागरूकता में वृद्धि का क्या महत्व है। क्या यह बदलाव सामाजिक ढांचे को नया आकार देगा? जानिए पूरी कहानी में।
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बिहार चुनाव 2025: महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी का महत्व

बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भूमिका

बिहार चुनाव 2025: महिला मतदाताओं की बढ़ती भागीदारी का महत्व

बिहार चुनाव और महिता मतदाता

2025 का बिहार विधानसभा चुनाव कई दृष्टियों से विशेष रहा है। एसआईआर (SIR) की चर्चा अब पीछे छूट चुकी है, और वर्तमान में महिलाओं को दस-दस हजार रुपये देने की योजना पर चर्चा हो रही है। पहले चरण के मतदान में रिकॉर्ड संख्या में वोटिंग ने बिहार चुनाव की नई पहचान बनाई है। मतदान केंद्रों पर महिलाओं की लंबी कतारें और उनके उत्साहजनक बयान इस बात का संकेत हैं कि सामाजिक ढांचे और लोकतंत्र को मजबूती मिली है। पहले चरण में लगभग 64.66 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें महिलाओं का योगदान 8 प्रतिशत अधिक रहा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 14 नवंबर को सत्ता का समीकरण कैसे बदलता है।

बिहार में महिला मतदाताओं की संख्या लगभग 3.5 करोड़ है, जिसमें से सरकार के अनुसार डेढ़ करोड़ महिलाओं को दस-दस हजार रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। बिहार में महिला साक्षरता दर लगभग 52 प्रतिशत है। पहले के समय में महिलाएं वोट देने के लिए घर से बाहर निकलने में संकोच करती थीं, लेकिन अब मतदाता पहचान पत्र और ईवीएम के आने से स्थिति में बदलाव आया है।

महिला मतदाताओं की संख्या में वृद्धि

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं की संख्या में अचानक वृद्धि नहीं हुई है। पिछले कई चुनावों में महिलाओं का टर्नआउट बढ़ता जा रहा है। पिछले पंद्रह वर्षों में बूथों पर महिला मतदाताओं की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। यह वृद्धि नीतीश कुमार की योजनाओं जैसे शराबबंदी, साइकिल योजना और जीविका दीदी से जुड़ी हुई है। इन योजनाओं के कारण महिलाएं वोट देने के लिए घरों से बाहर निकलने लगी हैं। इस बार मुख्यमंत्री रोजगार योजना का भी योगदान माना जा रहा है।

बिहार की जातीय जनगणना के अनुसार, यहां का लिंगानुपात 953 है, यानी 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं। पिछले चुनावों के आंकड़ों के अनुसार, 2010 में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक वोट डाले थे। उस वर्ष पुरुषों ने 51.11 प्रतिशत और महिलाओं ने 54.44 प्रतिशत वोट डाले। 2015 में महिलाओं का वोट प्रतिशत 60.57 था, जबकि पुरुषों का 53.32 प्रतिशत था। इसी तरह, 2020 में पुरुषों ने 54.68 प्रतिशत और महिलाओं ने 59.58 प्रतिशत वोट डाले। अब दूसरे चरण के मतदान के बाद सभी आंकड़े स्पष्ट होंगे।

अन्य राज्यों में भी महिला मतदाताओं की वृद्धि

बिहार के बाहर, लोकसभा चुनाव या अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी महिला केंद्रित योजनाओं ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कुल 64.4 करोड़ मतदाताओं ने वोट दिया, जिसमें पुरुषों का प्रतिशत 65.55 और महिलाओं का 65.78 था। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं ने 78.12 लाख वोट डाले।

हालांकि, मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना ने भाजपा सरकार को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन वहां महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में कम रहा। मध्य प्रदेश में पुरुषों ने 78.2 प्रतिशत और महिलाओं ने 76.03 प्रतिशत मतदान किया।

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मतदान का अंतर

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी लाड़की बहना योजना के तहत 65 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले, जबकि पुरुषों का मतदान 66.84 प्रतिशत रहा। यह अंतर मामूली था, लेकिन यह स्पष्ट है कि इन दोनों राज्यों में भाजपा की जीत में महिला योजनाओं का योगदान महत्वपूर्ण रहा। महिलाओं की जागरूकता, आत्मनिर्भरता और साक्षरता में वृद्धि पूरे समाज के विकास का संकेत है। महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ना या पुरुषों के साथ बराबरी पर आना सामाजिक जागरूकता का प्रतीक है।

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