बिहार चुनाव 2025: एनडीए की जीत और महागठबंधन की गिरावट
बिहार चुनाव 2025 के परिणामों ने राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया है, जहां एनडीए ने भारी बढ़त बनाई है। भाजपा और जेडीयू की मजबूत स्थिति के साथ, चिराग पासवान की एलजेपी (आरवी) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। दूसरी ओर, महागठबंधन की स्थिति कमजोर हो गई है, जिससे कांग्रेस की गिरावट और स्पष्ट होती है। जानें इस चुनाव के परिणामों का राजनीतिक प्रभाव और आगे की संभावनाएं।
| Nov 14, 2025, 23:32 IST
बिहार चुनाव 2025 के परिणामों का राजनीतिक प्रभाव
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया है। प्रारंभिक 11 घंटे की मतगणना के बाद, एनडीए ने स्पष्ट बढ़त बना ली है, और वर्तमान में गठबंधन 200 से अधिक सीटों पर आगे चल रहा है। भाजपा 90 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू भी 80 से अधिक सीटों पर आगे है। उल्लेखनीय है कि चिराग पासवान की एलजेपी (आरवी) लगभग 20 सीटों पर बढ़त लेकर इस बार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जिससे एनडीए का सामाजिक समीकरण और मजबूत हुआ है।
वहीं, महागठबंधन की स्थिति काफी कमजोर नजर आ रही है। राजद केवल 20 सीटों के आसपास ही आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस की स्थिति उससे भी खराब है। कांग्रेस इस बार कुछ ही सीटों पर बढ़त हासिल कर सकी है, जो पार्टी की लंबे समय से जारी गिरावट को दर्शाता है। 2020 में कांग्रेस को सीट बंटवारे में कुछ लाभ मिला था, लेकिन प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा था और इस बार स्थिति और भी खराब हो गई है।
नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा तेज हो गई है। बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश की पकड़ इसलिए मजबूत है क्योंकि उन्होंने वर्षों से ईबीसी, महादलित और गैर-यादव ओबीसी वर्ग के बीच विश्वास स्थापित किया है। महिलाओं के बीच उनकी योजनाओं का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिससे उनका सामाजिक आधार स्थिर बना हुआ है। यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जेडीयू की सीटें घटती-बढ़ती रही हैं, लेकिन सत्ता की चाबी हमेशा नीतीश के पास रही है, और इस बार भी वही पैटर्न देखने को मिल रहा है।
दूसरी ओर, एनडीए के भीतर चिराग पासवान का उभार भी चर्चा का विषय है। लंबे समय तक आलोचकों ने एलजेपी (आरवी) को सीट बंटवारे में ‘ज्यादा इनाम’ पाने वाली पार्टी बताया था, लेकिन इस बार चिराग ने स्पष्ट जवाब दिया है। 20 से अधिक सीटों पर बढ़त ने यह साबित कर दिया है कि पासवान का वोट बैंक अभी भी महत्वपूर्ण है और एनडीए में उनकी वापसी ने पूरे गठबंधन को लाभ पहुंचाया है। माना जा रहा है कि उनकी मजबूत उपस्थिति भविष्य में गठबंधन की राजनीति को प्रभावित कर सकती है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी इन परिणामों के बाद सवालों के घेरे में है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस की असली समस्या उसके संगठन, ज़मीनी पकड़ और नेतृत्व की सक्रियता में है। बिहार में कांग्रेस का कोई मजबूत बूथ ढांचा नहीं है और पिछले कई चुनावों में उसका जनाधार लगातार गिरता गया है।
कुल मिलाकर, बिहार चुनाव 2025 के परिणाम एक बड़े राजनीतिक बदलाव की ओर इशारा कर रहे हैं। एनडीए की बड़ी जीत, जेडीयू और एलजेपी (आरवी) की मजबूत उपस्थिति और महागठबंधन की भारी गिरावट ने सूबे की राजनीति को नई दिशा दी है। मुख्यमंत्री पद और सरकार की संरचना को लेकर अंतिम तस्वीर आने वाले कुछ घंटों में स्पष्ट होने की उम्मीद है।
