बिहार के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील में बदलाव, नए मेनू की शुरुआत

बिहार के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के मेनू में महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं। 15 फरवरी से बच्चों को नए और पौष्टिक भोजन का आनंद मिलेगा, जिसमें खिचड़ी और चने का छोला शामिल है। इसके साथ ही, खेल के मैदानों के विकास और इंडोर खेलों को बढ़ावा देने की योजना भी बनाई गई है। जानें इस बदलाव के बारे में और क्या-क्या नई सुविधाएं बच्चों को मिलेंगी।
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बिहार के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील में बदलाव, नए मेनू की शुरुआत

बिहार के स्कूलों में मिड-डे मील में बदलाव

बिहार के स्कूलों में मिड-डे मील में बदलाव


औरंगाबाद: बिहार के सरकारी स्कूलों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन होने जा रहा है। बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जा रहा है। अब मिड-डे मील में पौष्टिक आहार शामिल किया जाएगा। 15 फरवरी से नए मेनू के तहत बच्चों को स्वादिष्ट भोजन प्रदान किया जाएगा।


सोमवार से शनिवार तक मेनू में बदलाव किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। अब बच्चों को सप्ताह में तीन दिन खिचड़ी मिलेगी, जबकि पहले यह केवल दो दिन मिलती थी। इसके अलावा, शुक्रवार को पुलाव की जगह चावल और चने का छोला दिया जाएगा।


विभागीय पत्र के अनुसार, पहले शुक्रवार को पुलाव और काबली चने का छोला दिया जाता था, लेकिन अब चावल और चने का छोला दिया जाएगा। इसी तरह, मंगलवार को जीरा चावल की जगह आलू-सोयाबीन की सब्जी दी जाएगी।


सोमवार और गुरुवार को तड़का दाल और चावल मिलेगा, जिसमें हरी सब्जी का होना अनिवार्य है। मध्य विद्यालय महथू के प्रधानाध्यापक निर्मल कुमार सिन्हा ने बताया कि मीनू में बदलाव किया जा रहा है, जिससे बच्चों को बेहतर मध्याह्न भोजन मिल सके।


पटना के सरकारी स्कूलों में खेल के मैदानों का विकास भी किया जाएगा। जिले में 29 स्कूलों को चिह्नित किया गया है, जिनके खेल मैदानों को सुधारने की योजना है। हालांकि, परीक्षा केंद्र होने के कारण इस प्रक्रिया में थोड़ी देरी होगी।


इंडोर खेलों को बढ़ावा देने का भी निर्णय लिया गया है। विभाग ने फुटबॉल, वॉलीबॉल, दौड़, साइकिलिंग और कबड्डी जैसे खेलों को शामिल करने का निर्णय लिया है।


पटना कालेजिएट स्कूल में चार एकड़ का क्रिकेट ग्राउंड है, जिसे सुरक्षित करने के लिए घेराबंदी की जा रही है। पटना हाई स्कूल का खेल मैदान भी छह एकड़ में फैला है, जिसका उपयोग स्थानीय लोग भी करते हैं।