बाली और रावण की अद्भुत कहानी: जब रावण भी था भयभीत

रामायण में बाली और रावण की कहानी एक अद्भुत प्रसंग है, जिसमें बाली ने रावण को युद्ध में पराजित किया और उसे छह महीने तक अपनी बगल में दबाकर रखा। इस लेख में जानें कि कैसे रावण ने बाली को ललकारा और अंत में दोनों के बीच मित्रता स्थापित हुई। यह कहानी न केवल युद्ध की है, बल्कि मित्रता की भी है।
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बाली और रावण की अद्भुत कहानी: जब रावण भी था भयभीत

बाली और रावण की कथा

बाली और रावण की अद्भुत कहानी: जब रावण भी था भयभीत

बाली और रावण की कहानी

बाली और रावण की कहानी: रामायण हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन और उनके कार्यों का वर्णन किया गया है। इस महाकाव्य में कई प्रमुख पात्र हैं, जिनमें से एक बाली भी हैं, जो सुग्रीव के बड़े भाई थे। रामायण में उल्लेख है कि बाली ने रावण को युद्ध में पराजित किया था।

रामायण में यह भी बताया गया है कि बाली ने रावण को छह महीने तक अपनी बगल में दबाकर रखा था। बाली किष्किन्धा के वानर राज थे और उन्हें ब्रह्मा जी से यह वरदान मिला था कि जो भी उनके खिलाफ युद्ध करेगा, उसकी आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाएगी। इस वरदान के कारण बाली और भी शक्तिशाली हो गए थे।

रावण की चुनौती

रावण, जो अपने पराक्रम के लिए प्रसिद्ध था, कई राज्यों को जीत चुका था। उसे भी एक वरदान प्राप्त था कि वह किसी देवता, असुर, राक्षस, या अन्य प्राणियों से नहीं मरेगा। इस वरदान ने रावण में घमंड भर दिया। जब उसे बाली की शक्ति के बारे में पता चला, तो उसने बाली को युद्ध के लिए ललकारा।

युद्ध के बाद की मित्रता

बाली और रावण के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ। बाली के वरदान के कारण रावण की आधी शक्ति बाली में समाहित हो गई, जिससे रावण की हार निश्चित हो गई। बाली ने रावण को बंदी बना लिया और उसे अपमानित करने लगा। बाली ने लगभग छह महीने तक रावण को अपनी बगल में दबाकर रखा।

अंत में, रावण ने बाली से माफी मांगी और हार मान ली। बाली ने रावण को क्षमा कर दिया और दोनों के बीच मित्रता स्थापित हो गई।

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(इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है.)