बाबा बागेश्वर की पदयात्रा: मथुरा में बढ़ी भक्तों की संख्या

बाबा बागेश्वर की पदयात्रा 13 नवंबर को मथुरा पहुंची है, जहां भक्तों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इस यात्रा का उद्देश्य समाज में एकता और संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाना है। यात्रा के दौरान कई प्रसिद्ध हस्तियां और साधु संत भी शामिल हो रहे हैं। जानें इस यात्रा के महत्व और कार्यक्रम के बारे में।
 | 
बाबा बागेश्वर की पदयात्रा: मथुरा में बढ़ी भक्तों की संख्या

बागेश्वर धाम की पदयात्रा का महत्व

बाबा बागेश्वर की पदयात्रा: मथुरा में बढ़ी भक्तों की संख्या

बाबा बागेश्वर की यात्रा

सनातन हिंदू एकता पदयात्रा: समाज में एकता और संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से महंत धीरेंद्र शास्त्री द्वारा निकाली गई बागेश्वर धाम की पदयात्रा 13 नवंबर को मथुरा पहुंची। यह यात्रा अब अपने महत्वपूर्ण चरण में है। दिल्ली-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटवन सीमा पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का भव्य स्वागत किया गया, जहां हजारों बृजवासियों ने शंख ध्वनि के साथ फूलों की वर्षा की।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर की यह पदयात्रा 13 नवंबर को कोसी मंडी पहुंची, जहां रात का विश्राम किया गया। आज, 14 नवंबर, इस यात्रा का आठवां दिन है, और यह ग्राम तुमोला से मथुरा की ओर बढ़ी है। यहां एक धर्मसभा का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें बाबा बागेश्वर धाम सरकार द्वारा हिंदू एकता, गौ-संरक्षण, और सनातन संस्कृति के संवर्धन पर प्रवचन दिया जाएगा।


भक्तों की संख्या में वृद्धि

पदयात्रा में भक्तों की बढ़ती संख्या

पदयात्रा के हर पड़ाव पर भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोग अपने-अपने क्षेत्रों से इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं, और कई प्रसिद्ध हस्तियां भी इसमें भाग ले रही हैं। साधु संत भी इस यात्रा का हिस्सा बन चुके हैं। 13 नवंबर को कोसी मंडी पहुंचने से पहले यात्रा के मार्ग में ढोल-नगाड़े और जय श्रीराम के जयघोष गूंज रहे थे।


कोसी मंडी में स्वागत समारोह

कोसी मंडी में महिलाओं ने बाबा बागेश्वर की आरती उतारी

कोसी मंडी में बाबा बागेश्वर धाम सरकार के आगमन की सूचना मिलते ही आसपास के गांवों के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित हुए। महिलाओं ने बाबा बागेश्वर की आरती उतारी, जबकि युवाओं ने भगवा झंडे लेकर उनका स्वागत किया। यह पदयात्रा 7 नवंबर को दिल्ली के छतरपुर स्थित कात्यायनी माता मंदिर से शुरू हुई थी और 16 नवंबर को वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर पहुंचेगी, जहां इसका समापन होगा।