बाजी राउत: भारत के सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी का बलिदान

बाजी राउत, जो केवल 12 वर्ष की आयु में शहीद हुए, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया। उनका बलिदान आज भी प्रेरणा का स्रोत है। जानें उनके जीवन और संघर्ष के बारे में, और कैसे उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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बाजी राउत: भारत के सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी का बलिदान

बाजी राउत का अद्वितीय बलिदान


भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में लाखों सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी, जिसके परिणामस्वरूप देश को स्वतंत्रता मिली। आज, स्वतंत्रता संग्राम के समय जीवित बचे नागरिकों की संख्या बहुत कम रह गई है। भारत को स्वतंत्र हुए 77 वर्ष हो चुके हैं, और हम 15 अगस्त को आजादी का 78वां वर्ष मनाने जा रहे हैं। इस संघर्ष में अनेक महापुरुषों ने बलिदान दिया, जिनमें से कई का नाम इतिहास के पन्नों में खो गया है। आज मैं आपको भारत माता के एक महान सपूत, बाजी राउत के बारे में बताना चाहता हूँ।


बाजी राउत का जन्म 5 अक्टूबर 1926 को ढेंकनाल के निलाकंठा पुर गांव में हुआ था। उनके पिता नाव चलाने का काम करते थे, और गांव में उन्हें 'बाजिया' के नाम से जाना जाता था। बाजी राउत वानर सेना के सदस्य थे। अंग्रेजी शासन के अत्याचार बढ़ते जा रहे थे, और जब लोग विरोध करते थे, तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता था। इस बर्बरता के खिलाफ जन सामान्य में आक्रोश बढ़ता गया।


एक बार, अंग्रेजी पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की जान चली गई। इसके विरोध में जनता ने पुलिस को घेर लिया। इस घटना ने एक बड़ी चिंगारी को जन्म दिया। 11 अक्टूबर 1938 को, जब अंग्रेजी पुलिस नदी पार करने की कोशिश कर रही थी, तो बाजी राउत ने उन्हें रोक दिया। इस पर पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं, जिससे उनकी जान चली गई।


बाजी राउत का अंतिम संस्कार ढेंकनाल जिले के खाननगर में किया गया। उनकी शहादत को आज भी लोग याद करते हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनका नाम सबसे कम उम्र के शहीद के रूप में दर्ज है। एक 12 वर्षीय बच्चे ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, जो हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।


आज, हमें अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निभाना चाहिए और स्वतंत्रता की कीमत को समझना चाहिए। स्वतंत्रता का अनुभव तभी होता है जब किसी ने गुलामी देखी हो। आइए, हम मिलकर देश की स्वतंत्रता को और सुंदर बनाने का प्रयास करें। जय हिंद, वंदे मातरम!