बागेश्वर धाम की पदयात्रा: पांचवें दिन का रात्रि विश्राम स्थल और अगले पड़ाव की जानकारी
बागेश्वर धाम की 'सनातन हिंदू एकता पदयात्रा' का पांचवां दिन 11 नवंबर को मीतरौल में रात्रि विश्राम के साथ समाप्त होगा। यात्रा का उद्देश्य हिंदू राष्ट्र की स्थापना और जातिवाद का उन्मूलन है। श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति गीतों की गूंज यात्रा को पावन बना रही है। जानें अगले दिन का कार्यक्रम और यात्रा की समयरेखा।
| Nov 11, 2025, 19:58 IST
सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का सफर
‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’
सनातन हिंदू एकता पदयात्रा: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सनातन धर्म का प्रचार करते हुए भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने का संकल्प लिया है। यह यात्रा 7 नवंबर को दिल्ली के छतरपुर मंदिर से शुरू हुई और अब अपने पांचवें दिन में प्रवेश कर चुकी है। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदू राष्ट्र की स्थापना, जातिवाद का उन्मूलन और समाज में एकता लाना है।
पदयात्रा की समयरेखा
यह ऐतिहासिक यात्रा 7 नवंबर को शुरू हुई थी और इसका समापन 16 नवंबर को होगा। अंतिम दिन यात्रा छटीकरा चार धाम से होते हुए वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर पहुंचेगी, जहां धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भगवान का आशीर्वाद लेंगे।
पांचवें दिन (11 नवंबर) का रात्रि विश्राम स्थल
- 11 नवंबर को पदयात्रा का पांचवां दिन समाप्त हो रहा है।
- दोपहर भोजन विश्राम: यात्रा ने पलवल शुगर मिल के पास दोपहर का भोजन किया।
- रात्रि विश्राम स्थल: यात्रा मीतरौल (प्रधान जी की भूमि) पर रुकेगी, जहां धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और उनके भक्त रात्रि विश्राम करेंगे।
अगले दिन का कार्यक्रम
12 नवंबर को यात्रा मीतरौल से आगे बढ़कर वनचारी (JBM) के रास्ते होडल मंडी तक पहुंचेगी। यह चरण यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है, क्योंकि यहां से यात्रा हरियाणा की सीमाओं को पार करते हुए ब्रजभूमि की ओर बढ़ेगी।
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भक्तों में उत्साह और श्रद्धा का माहौल
पूरी यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। लोग जगह-जगह फूलों से स्वागत कर रहे हैं और भक्ति गीतों की गूंज वातावरण को पावन बना रही है। बागेश्वर बाबा के प्रवचनों में धर्म, राष्ट्र और सामाजिक एकता का संदेश दिया जा रहा है। इस यात्रा को जातिवाद समाप्त करने और हिंदू समाज में एकजुटता लाने का एक बड़ा माध्यम माना जा रहा है। यात्रा का हर पड़ाव आस्था और संकल्प का केंद्र बनता जा रहा है, जहां भारी संख्या में स्थानीय लोग बागेश्वर धाम के दर्शन और उनके विचारों को सुनने के लिए उमड़ रहे हैं.
