बांग्लादेश में पत्रकारों पर हमले: अभिव्यक्ति की आजादी का संकट
बांग्लादेश में मीडिया की सुरक्षा पर खतरा
हिंसा के दौरान अखबारों के ऑफिस में लगाई आग
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्रों के संपादकों ने सोमवार को बताया कि देश का मीडिया एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बजाय अब पत्रकारों के जीवन की सुरक्षा अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। यह बयान ढाका में 'प्रथम आलो' और 'द डेली स्टार' के कार्यालयों पर भीड़ के हमले के बाद आया है। हादी की हत्या की खबर के बाद, इन दोनों समाचार पत्रों के दफ्तरों में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई।
भीड़ के हमले के कारण कई पत्रकार और कर्मचारी घंटों तक कार्यालय के अंदर फंसे रहे, जिन्हें बाद में पुलिस और अग्निशामक द्वारा सुरक्षित निकाला गया। 'द डेली स्टार' के संपादक महफूज आनंद ने कहा कि यह हमला केवल समाचार पत्रों के खिलाफ नहीं था, बल्कि पत्रकारों और उनके कर्मचारियों को निशाना बनाने के लिए किया गया था।
संपादकों ने बताया कि हमलावरों ने इमारतों में आग लगाने से पहले पत्रकारों को बाहर निकलने का मौका नहीं दिया। 26-27 मीडियाकर्मी 'द डेली स्टार' की छत पर फंसे रहे, जबकि अग्निशामक उन्हें बचाने नहीं पहुंच सके। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने अपनी देरी का बचाव करते हुए कहा कि तत्काल कार्रवाई से स्थिति और बिगड़ सकती थी। पुलिस आयुक्त नजरुल इस्लाम ने कहा, “हम वहां इसलिए कार्रवाई नहीं कर पाए ताकि कोई जान न जाए।”
भीड़ के हमलों के सिलसिले में अब तक 9 गिरफ्तार
मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने कहा है कि युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद, दो समाचार पत्रों और सांस्कृतिक संगठनों 'छायानाट' और 'उदिची शिल्पी गोष्ठी' के कार्यालयों पर हुए हमलों के सिलसिले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हमलावरों ने आरोप लगाया कि ये समाचार पत्र भारत और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के हितों की सेवा कर रहे थे।
बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?
बांग्लादेश में हालिया हिंसा का कारण युवा नेता शरीफ ओस्मान हादी की हत्या है। 32 वर्षीय हादी पिछले साल के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थे। उनकी हत्या के बाद देशभर में हिंसा भड़क गई है, जिसमें अवामी लीग से जुड़े लोगों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए हैं।
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