बांग्लादेश में नेशनल सिटिजन पार्टी का राजनीतिक संकट: चुनावी गठबंधन की चुनौतियाँ
बांग्लादेश में नेशनल सिटिजन पार्टी का संकट
ढाका
बांग्लादेश में 12 फरवरी 2024 को होने वाले आम चुनावों से पहले, छात्र आंदोलन से बनी नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) गंभीर राजनीतिक संकट का सामना कर रही है। इस पार्टी को पहले बांग्लादेश की पारंपरिक राजनीति से बाहर एक तीसरी ताकत के रूप में देखा गया था, लेकिन अब यह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) या बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के साथ समझौता करने के लिए मजबूर होती दिख रही है। NCP का गठन उन छात्र नेताओं ने किया था जिन्होंने 2024 के आंदोलन के बाद मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पार्टी पर लंबे समय से यूनुस के संरक्षण में रहने के आरोप लगते रहे हैं। दूसरी ओर, अवामी लीग चुनावी दौड़ से बाहर है क्योंकि वह वर्तमान में प्रतिबंधित है।
जमीनी स्तर पर कमजोर, सोशल मीडिया पर सक्रियता
स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, NCP को सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पहचान मिली है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका संगठनात्मक विस्तार सीमित है। 350 सीटों वाली संसद में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बजाय, पार्टी अब केवल 30 से 50 सीटों पर सौदेबाजी करने की स्थिति में है। रिपोर्ट के अनुसार, NCP और जमात-ए-इस्लामी के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत चल रही है, लेकिन जमात ने NCP की 50 सीटों की मांग को अव्यावहारिक बताया है, जिसके बाद चर्चा 30 सीटों पर आकर रुक गई है।
पार्टी में आंतरिक संघर्ष और इस्तीफे
इन संभावित गठबंधनों ने NCP के भीतर गहरी फूट पैदा कर दी है। पार्टी के एक धड़े का मानना है कि जमात के साथ जाना चुनावी अस्तित्व के लिए आवश्यक है, जबकि दूसरा धड़ा BNP के साथ समझौते का पक्षधर है, खासकर BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान की बांग्लादेश वापसी के बाद। इसी बीच, NCP के संयुक्त सचिव और चटग्राम इकाई के प्रमुख मीर अरशादुल हक ने इस्तीफा दे दिया, जो पार्टी के भीतर जमात विरोधी गुट के प्रमुख चेहरे माने जाते थे। द डेली स्टार के अनुसार, उनका जाना पार्टी के आंतरिक संकट की गंभीरता को दर्शाता है।
युवाओं की राजनीति पर प्रभाव
जमात-NCP बातचीत को लेकर आरोप भी सामने आए हैं कि जमात हर सीट के बदले NCP को 1.5 करोड़ टका दे सकती है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए छात्र आंदोलन से जुड़े नेता अब्दुल कादर ने कहा कि युवा राजनीति की कब्र खोदी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि समझौता हुआ, तो NCP बाकी 270 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी और जमात का समर्थन करेगी।
‘किंग्स पार्टी’ का लेबल
NCP पर लंबे समय से 'किंग्स पार्टी' का ठप्पा लगा है। आलोचकों का कहना है कि मुहम्मद यूनुस ने पार्टी को असामान्य राजनीतिक संरक्षण दिया है, जैसे कि कैबिनेट में सलाहकार पद और चुनावी प्रक्रिया को टालने के कदम। हालांकि, पार्टी ने कई बार यूनुस पर BNP के प्रति झुकाव रखने के आरोप लगाए हैं, जिससे दोनों के रिश्तों की असहजता उजागर होती है।
डेमोक्रेटिक रिफॉर्म अलायंस पर असर
NCP की आंतरिक कलह का असर उसके नेतृत्व वाले डेमोक्रेटिक रिफॉर्म अलायंस पर भी पड़ा है, जिसमें अमार बांग्लादेश पार्टी और राज्य सुधार आंदोलन शामिल हैं। गठबंधन की शर्त थी कि वे BNP और जमात दोनों से दूरी बनाए रखेंगे, लेकिन अब उस समझौते के टूटने के संकेत मिल रहे हैं। बांग्लादेश की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। लंबे समय से लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 25 दिसंबर को 17 साल बाद स्वदेश लौट आए। उनकी वापसी पर लाखों समर्थकों ने ढाका में भव्य स्वागत किया। इसी बीच, छात्रों द्वारा गठित NCP की हालिया भारत-विरोधी प्रदर्शनों की कोशिशें फीकी पड़ती दिख रही हैं।
तारिक रहमान, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और BNP के प्रमुख चेहरे हैं। उनका विमान ढाका के हजरत शाहजहां अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरा। एयरपोर्ट से उनके निवास तक का रोड शो लाखों कार्यकर्ताओं से भरा हुआ था। अनुमान है कि करीब 50 लाख लोग सड़कों पर उतरे। तारिक ने अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की मशहूर लाइन 'आई हैव ए ड्रीम' का जिक्र करते हुए कहा- मेरे देश के लिए एक प्लान है।
