बवासीर के प्रकार और घरेलू उपचार: जानें कैसे पाएं राहत

बवासीर, जिसे अर्श के नाम से भी जाना जाता है, एक आम गुदा मार्ग की समस्या है। यह मुख्यतः कब्ज के कारण होती है और इसके दो प्रमुख प्रकार हैं: खूनी बवासीर और वादी बवासीर। इस लेख में, हम बवासीर के विभिन्न प्रकारों, कारणों, लक्षणों और प्रभावी घरेलू उपचारों पर चर्चा करेंगे। जानें कैसे आप सरल उपायों से इस समस्या से राहत पा सकते हैं।
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बवासीर के प्रकार और घरेलू उपचार: जानें कैसे पाएं राहत

बवासीर: एक सामान्य समस्या


बवासीर, जिसे अर्श भी कहा जाता है, गुदा मार्ग की एक सामान्य बीमारी है। इसका मुख्य कारण कब्ज होता है, जो अधिक मिर्च-मसाले और बाहरी भोजन के सेवन से उत्पन्न होता है। इससे पेट में कब्ज बनता है, जिससे मल अधिक शुष्क और कठोर हो जाता है।


इस स्थिति में, मल त्याग के दौरान अधिक जोर लगाना पड़ता है, जिससे गुदा मार्ग में सूजन या मस्से बन सकते हैं। बवासीर मुख्यतः दो प्रकार की होती है:


बवासीर के प्रकार


  1. खूनी बवासीर: मल के साथ खून निकलता है।

  2. वादी बवासीर: मलद्वार पर सूजन होती है, लेकिन खून नहीं आता।


बवासीर के अन्य प्रकार को छह श्रेणियों में बांटा गया है:



  1. पित्तार्श: नीले, पीले या काले रंग के मस्से, जिनमें दुर्गंध और पतला खून निकलता है।

  2. कफार्श: गहरे मस्से, जिनमें पीड़ा और खुजली होती है।

  3. वातार्श: ठंडे, चिपचिपे और काले-लाल रंग के मस्से।

  4. सन्निपात: वातार्श, पित्तार्श और कफार्श के लक्षण मिलते हैं।

  5. संसर्गर्श: परंपरागत या बाहरी कारणों से उत्पन्न होता है।

  6. रक्तार्श (खूनी बवासीर): लाल मस्से और गाढ़ा खून निकलता है।


बवासीर के कारण


  1. खराब पाचन: अधिक तेल-मसाले वाले भोजन से पाचन तंत्र कमजोर होता है।

  2. कब्ज: सूखे और कठोर मल के कारण गुदा मार्ग में घाव बन सकते हैं।

  3. देर से उपचार: आहार और जीवनशैली की लापरवाही से रोग बढ़ सकता है।


बवासीर के लक्षण


  1. गुदा मार्ग के बाहर मस्सों का निकलना।

  2. शौच के साथ खून आना।

  3. चलने-फिरने में परेशानी।

  4. आंखों के सामने अंधेरा छाना और सिर में चक्कर आना।

  5. स्मरण शक्ति की कमी।


बवासीर के घरेलू उपचार


  1. हारसिंगार:



    • हारसिंगार के फूलों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें।

    • हारसिंगार के बीज और काली मिर्च मिलाकर गोलियां बनाकर खाएं।



  2. कपूर:



    • कपूर, रसोत, चाकसू और नीम के फूलों का पाउडर बनाएं। इसे मूली में भरकर भूनें और मटर के बराबर गोलियां बनाकर खाली पेट सेवन करें।



  3. वनगोभी:



    • वनगोभी के रस को दिन में 3-4 बार मस्सों पर लगाएं।



  4. मूली:



    • मूली के रस में जलेबी मिलाकर एक घंटे बाद सेवन करें।



  5. रीठा:



    • रीठा के छिलके को जलाकर उसकी भस्म को शहद के साथ चाटें।