बबूल की फली: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ

बबूल की फली, जो भारत में व्यापक रूप से पाई जाती है, न केवल औषधीय गुणों से भरपूर है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। यह घुटनों के दर्द, टूटी हड्डियों, दांत के दर्द और अन्य कई समस्याओं में राहत प्रदान करती है। जानें बबूल की फली के फायदे और इसे अपने स्वास्थ्य में कैसे शामिल करें।
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बबूल की फली: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ

बबूल के पेड़ और इसके औषधीय गुण

बबूल की फली: स्वास्थ्य के लिए अद्भुत लाभ


आज हम बबूल की फली के औषधीय गुणों पर चर्चा करेंगे। बबूल का हर हिस्सा, जैसे पत्तियाँ, फूल, छाल और फल, औषधीय महत्व रखता है। यह एक कांटेदार पेड़ है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है।


बबूल के पेड़ बड़े और घने होते हैं, जिन पर गर्मियों में पीले फूल और सर्दियों में फलियाँ लगती हैं। इसकी लकड़ी मजबूत होती है और यह आमतौर पर पानी के निकट और काली मिट्टी में उगता है। इसके सफेद कांटे 1 से 3 सेंटीमीटर लंबे होते हैं।


बबूल के तने मोटे होते हैं और इसकी छाल खुरदरी होती है। इसके फूल गोल और पीले होते हैं, जबकि फलियाँ 7-8 इंच लंबी होती हैं। इसके बीज गोल और चपटी आकृति के होते हैं।


बबूल को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह कफ, कुष्ठ रोग, पेट के कीड़ों और शरीर में विष का नाश करता है।


बबूल की फली के स्वास्थ्य लाभ

घुटनों का दर्द और अस्थि भंग: बबूल के बीजों को शहद के साथ तीन दिन तक लेने से घुटनों का दर्द और अस्थि भंग में राहत मिलती है।


टूटी हड्डी का उपचार: बबूल की फलियों का चूर्ण सुबह-शाम लेने से टूटी हड्डियाँ जल्दी जुड़ जाती हैं।


दांत का दर्द: बबूल की फली के छिलके और बादाम के छिलके की राख में नमक मिलाकर मंजन करने से दांत का दर्द ठीक होता है।


पेशाब की समस्या: कच्ची बबूल की फली को सुखाकर पाउडर बनाकर सेवन करने से पेशाब की अधिकता कम होती है।


शारीरिक शक्ति में वृद्धि: बबूल की सुखाई हुई फलियों को मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है।


रक्त बहने पर: बबूल की फलियाँ और अन्य जड़ी-बूटियों का मिश्रण पीने से रक्त बहना रुकता है।


मर्दाना ताकत: बबूल की कच्ची फलियों के रस का सेवन मर्दाना ताकत बढ़ाता है।


अतिसार: बबूल की फलियाँ खाने के बाद छाछ पीने से अतिसार में लाभ मिलता है।


बबूल की छाल, पत्तियाँ और फूल के लाभ

मुंह के रोग: बबूल की छाल का काढ़ा कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।


पीलिया: बबूल के फूलों का चूर्ण पीलिया के उपचार में सहायक होता है।


महिलाओं के मासिक धर्म संबंधी विकार: बबूल की छाल का काढ़ा मासिक धर्म में अधिक खून आने की समस्या को नियंत्रित करता है।


आंखों से पानी बहना: बबूल के पत्तों का रस आंखों पर लगाने से पानी बहना बंद होता है।


गले के रोग: बबूल के पत्ते और छाल का काढ़ा गले के रोगों में राहत देता है।


अम्लपित्त: बबूल के पत्तों का काढ़ा अम्लपित्त के उपचार में मदद करता है।