बच्चों में दिल के दौरे का खतरा: WHO की नई रिपोर्ट से चौंकाने वाले आंकड़े

बच्चों में दिल की समस्याओं का बढ़ता खतरा
हाल के समय में हार्ट अटैक का खतरा केवल वयस्कों तक सीमित नहीं रह गया है। एक नई अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि बच्चों में भी दिल के दौरे का खतरा बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि बच्चे अस्वस्थ जीवनशैली अपनाते हैं और गलत खानपान करते हैं, तो उनके दिल की सेहत 10 साल की उम्र से ही प्रभावित होने लगती है।
शोध के निष्कर्ष
शोधकर्ताओं ने बताया कि वर्तमान में दिल की समस्याओं का सामना कर रहे अधिकांश लोग मोटापे, अस्वस्थ आहार, धूम्रपान और निष्क्रिय जीवनशैली का शिकार हैं। हार्वर्ड पिल्ग्रिम हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह साबित हुआ है कि बचपन में सही आदतें अपनाने से भविष्य में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।
10 साल की उम्र से शुरू होता है खतरा
हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में 1,500 से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया गया। यह अध्ययन जामा कार्डियोलॉजी में प्रकाशित हुआ है, जिसमें 3 से 16 साल के बच्चों के आहार, शारीरिक गतिविधि, नींद, बॉडी मास इंडेक्स (BMI), रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और धूम्रपान की आदतों का मूल्यांकन किया गया।
बचपन की आदतों का प्रभाव
डॉ. इज्जुद्दीन अरिस, अध्ययन के प्रमुख लेखक, ने कहा कि यह समय बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान उनकी आहार संबंधी आदतें खराब होने लगती हैं। यदि बच्चों को इस समय स्वस्थ जीवनशैली की आदतें नहीं सिखाई जातीं, तो भविष्य में उन्हें दिल की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े
शोध के अनुसार, बच्चों में मोटापे और गलत खानपान के कारण उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 5 साल से छोटे 37 मिलियन बच्चे विश्वभर में अधिक वजन के शिकार हैं।
बचाव के उपाय
विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को अस्वस्थ जीवनशैली से बचाने के लिए 15 साल की उम्र तक उन्हें कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं दी जानी चाहिए। इसके साथ ही, बच्चों को सही आहार और शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करना आवश्यक है ताकि उनके दिल की सेहत को भविष्य में सुरक्षित रखा जा सके।