बच्चों के टीकाकरण का महत्व और समय पर टीके लगवाने की आवश्यकता

बच्चों का टीकाकरण उनके स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उन्हें गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है। जानें कि किस उम्र में कौन सा टीका लगवाना चाहिए और यदि टीका समय पर नहीं लगाया गया तो क्या खतरे हो सकते हैं। डॉ. कैलाश सोनी के अनुसार, समय पर टीकाकरण न होने पर बच्चों में गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इस लेख में टीकाकरण की प्रक्रिया और उसके महत्व पर विस्तृत जानकारी दी गई है।
 | 
बच्चों के टीकाकरण का महत्व और समय पर टीके लगवाने की आवश्यकता

बच्चों का टीकाकरण


बच्चों का टीकाकरण: जन्म के बाद बच्चों का टीकाकरण अत्यंत आवश्यक है। ये टीके बच्चों को खसरा, चिकनपॉक्स और पोलियो जैसी गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। हालांकि, बच्चों को कुछ बीमारियों से माताओं से सुरक्षा मिलती है, लेकिन यह केवल 6 महीने तक ही रहती है। इसलिए, बच्चों के जन्म के बाद समय पर टीकाकरण कराना बहुत महत्वपूर्ण है। ये टीके बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं। इन टीकों के लगने से बच्चे कई जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं। अब सवाल यह है कि बच्चों का टीकाकरण क्यों आवश्यक है? किस उम्र में कौन सा टीका दिया जाता है? यदि टीका समय पर नहीं लगाया गया तो क्या होगा? समय पर टीका न लगने से किन बीमारियों का खतरा होता है? इस विषय पर सरकारी मेडिकल कॉलेज कन्नौज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कैलाश सोनी जानकारी दे रहे हैं।


बच्चों के टीकाकरण का महत्व और समय पर टीके लगवाने की आवश्यकता

मायो क्लिनिक की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों को दिए जाने वाले टीके उन्हें कई गंभीर या संभावित घातक बीमारियों से बचाते हैं। इसलिए, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) 18 वर्ष की आयु तक डिप्थीरिया, हेमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (Hib), हेपेटाइटिस A, B, HPV, खसरा, पोलियो, रोटावायरस, चेचक और काली खांसी जैसे टीके लगवाने की सिफारिश करता है।


किस उम्र में कौन सा टीका दिया जाता है?

हेपेटाइटिस A: यह टीका एक वर्ष की आयु के बाद बच्चे को दिया जाता है। यह टीका प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और जिगर से संबंधित जटिलताओं के जोखिम को कम करता है। इस टीके की दूसरी खुराक 18 से 19 महीने के बीच दी जाती है।

चिकनपॉक्स का टीका: बच्चे को 12 से 15 महीने की उम्र में चिकनपॉक्स का टीका दिया जाता है। यह टीका बच्चे को चिकनपॉक्स और इसके गंभीर जटिलताओं, जैसे बैक्टीरियल त्वचा संक्रमण, निमोनिया और एन्सेफलाइटिस से बचाता है।

MMR टीका: MMR का दूसरा टीका बच्चे को 15 महीने की उम्र में दिया जाता है। यह टीका बच्चे को खसरा और रूबेला जैसी बीमारियों से बचाता है। खसरा निमोनिया, मस्तिष्क की सूजन और यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है। रूबेला से बहरापन हो सकता है।

PCV बूस्टर: PCV बूस्टर की 3 खुराक लेने के बाद, 15 महीने के बच्चे को एक और टीका दिया जाता है। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को निमोनिया का विशेष खतरा होता है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह विकसित नहीं होती है।

Hib बूस्टर: यह टीका बच्चे को मस्तिष्क क्षति और बहरापन से बचाता है। पहली खुराक 2 महीने में, दूसरी 4 महीने में, तीसरी 6 महीने में और चौथी खुराक 12 से 15 महीने की उम्र में दी जाती है। हालांकि, भारत में, बच्चे को दिए जाने वाले टीके की खुराक और उम्र भिन्न हो सकती है।

यदि टीका समय पर नहीं लगाया गया तो क्या होगा?

डॉ. कैलाश सोनी बताते हैं कि बच्चे को सभी टीके लगवाना बहुत महत्वपूर्ण है, भले ही यह निर्धारित समय से थोड़ा पहले या बाद में लगाया जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो बच्चे में खसरा, पोलियो, काली खांसी और मेनिनजाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, कभी-कभी बच्चे स्थायी विकलांगता के कारण भी मर सकते हैं। कुछ बच्चों को पोलियो जैसी बीमारियों के कारण लकवा भी हो सकता है।


ऐसी स्थिति में क्या करें

यदि बच्चे का टीकाकरण समय पर नहीं हुआ है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उनकी सलाह से टीका निर्धारित समय से थोड़ा बाद में लगाया जा सकता है। ऐसा करने से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही, समुदाय में कमजोर प्रतिरक्षा वाले बच्चों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।

PC सोशल मीडिया