बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत गिनने का महत्व

बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं
बकरीद का महत्व: बकरीद, जिसे ईद उल अजहा भी कहा जाता है, इस्लामिक समुदाय का एक प्रमुख पर्व है। इस वर्ष, यह त्यौहार 7 जून को मनाया जाएगा। यह त्यौहार इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जुल-हिज्जा की दसवीं तारीख को मनाया जाता है। इस दिन बकरों और अन्य जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि किस प्रकार के बकरों की कुर्बानी दी जानी चाहिए और इसके पीछे का धार्मिक महत्व क्या है।
पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह से मोहब्बत
बकरीद का त्यौहार कुर्बानी का प्रतीक है, जो पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह के प्रति भक्ति से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि अल्लाह ने इब्राहिम को उनके सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा। इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल को बहुत प्यार किया, लेकिन अल्लाह के आदेश पर उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया। जब उन्होंने अपने बेटे की गर्दन पर चाकू रखा, तो एक मेढ़ा प्रकट हुआ। तभी से बकरीद का त्यौहार मनाया जाने लगा।
क्यों गिने जाते हैं बकरे के दांत
बकरीद पर बकरे की कुर्बानी देने से पहले उसके दांत गिनने की परंपरा है। यह दांतों की संख्या से बकरे की उम्र का पता लगाया जाता है। एक साल का बकरा ही कुर्बानी के लिए उपयुक्त होता है। यदि बकरे के 4-6 दांत हैं, तो उसे एक साल का माना जाता है। इससे कम या ज्यादा दांत होने पर उसकी कुर्बानी नहीं दी जा सकती।
कुर्बानी के लिए बकरा खरीदने के नियम
कुर्बानी के लिए बकरा खरीदते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। बकरा स्वस्थ होना चाहिए, उसके सींग टूटे नहीं होने चाहिए और उसकी उम्र एक साल होनी चाहिए। बकरा खरीदते समय उसकी सेहत की जांच करना जरूरी है। यदि बकरा बीमार है, तो उसे नहीं खरीदना चाहिए। कुर्बानी के समय बकरा और उसे काटने वाला व्यक्ति क़िबला की दिशा में होना चाहिए।