बंबई उच्च न्यायालय ने बकरीद पर पशु बलि की अनुमति दी

बंबई उच्च न्यायालय ने बकरीद के अवसर पर कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में स्थित दरगाह पर पशुओं की बलि देने की अनुमति दी है। यह निर्णय न्यायमूर्ति नीला गोखले और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की पीठ द्वारा सुनवाई के बाद आया, जिसमें दरगाह न्यास ने बलि देने की अनुमति मांगी थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश अन्य श्रद्धालुओं पर भी लागू होगा। जानें इस निर्णय के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव।
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बंबई उच्च न्यायालय ने बकरीद पर पशु बलि की अनुमति दी

बकरीद पर बलि देने की अनुमति

बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बकरीद के अवसर पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के विशालगढ़ किले में स्थित दरगाह पर उर्स के दौरान पशुओं की बलि (कुर्बानी) देने की अनुमति प्रदान की।


विशालगढ़ किला एक संरक्षित स्मारक है, जिसके कारण अधिकारियों ने परिसर में जानवरों और पक्षियों की बलि पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति नीला गोखले और न्यायमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने हजरत पीर मलिक रेहान दरगाह न्यास द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें बलि देने की अनुमति मांगी गई थी।


पीठ ने बकरीद के त्योहार, जो सात जून को मनाया जाएगा, और विशालगढ़ किले में आयोजित होने वाले चार-दिवसीय उर्स (मेला) के दौरान पशुओं की बलि देने की अनुमति दी।


अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल दरगाह न्यास पर ही नहीं, बल्कि अन्य श्रद्धालुओं पर भी लागू होगा। पुरातत्व विभाग के उपनिदेशक ने महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम का हवाला देते हुए किले में पशु बलि पर रोक लगाई थी। हालांकि, न्यास ने तर्क दिया कि बलि एक ‘पुरानी प्रथा’ है, जो किले से 1.4 किलोमीटर दूर निजी भूमि पर दी जाती है और मांस को तीर्थयात्रियों और आसपास के ग्रामीणों में वितरित किया जाता है।