बंगाल में SIR प्रक्रिया से बढ़ता तनाव: ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप

पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया के चलते ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच सियासी टकराव बढ़ता जा रहा है। हाल ही में हुई मौतों और आत्महत्याओं के बाद तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे को चुनावी हथियार बना लिया है। ममता बनर्जी ने विरोध रैली का आयोजन किया और बीजेपी पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। जानें इस विवाद के पीछे की सच्चाई और इसके राजनीतिक प्रभाव।
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बंगाल में SIR प्रक्रिया से बढ़ता तनाव: ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप

बंगाल में SIR प्रक्रिया का प्रभाव

बंगाल में SIR प्रक्रिया से बढ़ता तनाव: ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप

बंगाल में एसआईआर और ममता बनर्जी का विरोध.

पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्दवान जिले के मेमारी चौक बलरामपुर के बूथ संख्या 278 की BLO और आंगनकर्मी कार्यकर्ता नमिता हांसदा की रविवार को मृत्यु हो गई। उनके परिवार का कहना है कि एसआईआर के कार्यों के चलते उन पर अत्यधिक दबाव था, जिसके कारण उन्हें बार-बार फॉर्म जल्दी भरने के लिए कहा जा रहा था। इस मानसिक तनाव के कारण उनका ब्रेन हेमरेज हुआ। इसी दिन हुगली जिले में एक मां ने अपनी बेटी को जहर देकर आत्महत्या करने का प्रयास किया, जिसका आरोप एसआईआर के डर पर लगाया गया। तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि इस प्रक्रिया के कारण अब तक 12 लोगों की जान जा चुकी है।

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के एसआईआर की प्रक्रिया शुरू से ही तनाव और चिंता का कारण बनी हुई है। यह प्रक्रिया 4 नवंबर को शुरू हुई थी और 28 अक्टूबर से 9 नवंबर के बीच कम से कम 12 मौतें हुईं, जिनमें से छह आत्महत्याएं थीं।

टीएमसी का आरोप है कि ये मौतें एसआईआर प्रक्रिया के कारण मताधिकार खोने के डर से हुईं। ये घटनाएं बंगाल की राजनीति में एक केंद्रीय मुद्दा बन गई हैं, जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा एक-दूसरे पर 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले भय और झूठ फैलाने का आरोप लगा रहे हैं।


चुनाव से पहले SIR का मुद्दा

चुनाव से पहले SIR बना मुद्दा

तृणमूल कांग्रेस ने 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर को एक प्रमुख मुद्दा बना लिया है। मंगलवार को ममता बनर्जी ने कोलकाता में एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ एक विरोध रैली का आयोजन किया। मुख्यमंत्री को 30बी हरीश चटर्जी स्ट्रीट स्थित आवास पर एसआईआर गणना फॉर्म सौंपा गया, लेकिन उन्होंने इसे भरने से मना कर दिया। ममता बनर्जी और सांसद अभिषेक बनर्जी के साथ मंच पर मृतकों के परिजनों को देखा गया और उन्हें मुआवजा राशि दी गई।

तृणमूल कांग्रेस के सोशल मीडिया पर एसआईआर के खिलाफ कई पोस्ट साझा किए गए हैं। पार्टी का आरोप है कि बीजेपी का मिशन DETECT, DELETE और DEPORT है। बंगाली नागरिक इस देश के वैध नागरिक हैं जो पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं।


डर से हो रही मौतें… तृणमूल का आरोप

डर से हो रही मौतें… तृणमूल का आरोप

आरोप है कि भांगड़ में एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली, जो एसआईआर प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से नाम कट जाने के डर से हताश था। तृणमूल कांग्रेस के नेता शोक संतप्त परिवार के साथ खड़े हुए और उन्हें आश्वस्त किया कि हम दिल्ली के तानाशाहों को हमारे लोगों से उनकी गरिमा नहीं छीनने देंगे।

एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया कि शेओराफुली की एक 49 वर्षीय महिला फांसी पर लटकी पाई गई, जिसका नाम 2002 की सूची से गायब था। एसआईआर प्रक्रिया से उपजे डर ने उसे आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया।


बीजेपी ने ममता पर लगाया भ्रम फैलाने का आरोप

बीजेपी ने ममता पर लगाया भ्रम फैलाने का आरोप

भाजपा के नेता अमित मालवीय ने ममता बनर्जी पर एसआईआर को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि किसी भी भारतीय मुस्लिम या हिंदू शरणार्थी का नाम सूची से नहीं हटाया जाएगा। जिन लोगों के नाम हटाए जाएंगे, उनमें एक से ज्यादा बार मतदाता बन चुके मतदाता, मृत मतदाता, फर्जी मतदाता और अवैध घुसपैठिए शामिल हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले हिंदू शरणार्थी भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर सकेंगे।


NRC के बाद अब SIR, ममता का बना हथियार

NRC के बाद अब SIR, ममता का बना हथियार

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया नागरिकता से जुड़ी नहीं थी। पहले मतदाताओं के बीच कोई गणना प्रपत्र वितरित नहीं किया गया था, लेकिन इस बार गणना प्रपत्र वितरित किए जा रहे हैं। बिहार में एसआईआर प्रक्रिया की घोषणा के बाद इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।

बिहार में एसआईआर को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगे थे, लेकिन मौत के मामले नहीं आए थे। तृणमूल कांग्रेस अब एसआईआर को एनआरसी से जोड़कर इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है।