बंगाल में SIR प्रक्रिया पर विवाद, TMC सांसद के परिवार को चुनाव आयोग का नोटिस
बंगाल में SIR प्रक्रिया पर उठे सवाल
टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार, चुनाव आयोग और SIR.
पश्चिम बंगाल में ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन के बाद शनिवार से सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो रही है। बारासात से तृणमूल कांग्रेस की सांसद काकोली घोष दस्तीदार के दोनों बेटों को SIR प्रक्रिया के तहत सुनवाई के लिए बुलाया गया है। इसके अलावा, सांसद की मां और बहन को भी इस सुनवाई में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा गया है। काकोली घोष दस्तीदार ने इस मुद्दे पर सवाल उठाए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, टीएमसी सांसद के परिवार के सदस्य शनिवार को BDO कार्यालय जा सकते हैं।
तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि SIR प्रक्रिया में जल्दबाजी की जा रही है। ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी ने यह सवाल उठाया है कि दो साल का कार्य केवल दो महीने में क्यों पूरा किया जा रहा है। SIR की ड्राफ्ट लिस्ट जारी होने के बाद कई गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है।
डानकुनी म्युनिसिपैलिटी के तृणमूल काउंसलर सूर्या डे के नाम के आगे ‘मृत’ लिखा गया है। इसके साथ ही माकपा राज्य सचिव मोहम्मद सलीम के बेटे के सरनेम और मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय के सरनेम में गड़बड़ी को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं।
टीएमसी विधायक के परिवार को भी नोटिस
इसके अतिरिक्त, खंड घोष विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के विधायक नवीनचंद्र बाग की मां, भाई और बहनोई को भी सुनवाई के लिए बुलाया गया है। इस बार काकोली घोष दस्तीदार के दो बेटों, मां और बहन को भी बुलाया गया है।
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काकोली 2009 से लोकसभा की सांसद हैं। उन्होंने सवाल उठाया है कि यदि सांसद के परिवार के सदस्यों को बुलाया जा रहा है, तो आम नागरिकों की स्थिति क्या होगी?
काकोली घोष दस्तीदार का चार बार का सांसद अनुभव
काकोली घोष दस्तीदार ने मीडिया चैनल को बताया, “जब मैंने ड्राफ्ट लिस्ट देखी, तो पाया कि मेरे दोनों बेटों के नाम गायब हैं। उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया गया है। उनके पिता (पूर्व राज्य मंत्री सुदर्शन घोष दस्तीदार) पूर्व मंत्री हैं। मैं चार बार की सांसद हूं। मेरे दोनों बेटे सरकारी कर्मचारी हैं। वे सुनवाई में जाएंगे।
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उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि SIR प्रक्रिया किस तरह से चल रही है। दूर-दराज के क्षेत्रों के लोग, जिनसे ज्यादा बातचीत नहीं होती, उन्हें नहीं पता कि वे सुनवाई में क्या मांग रहे हैं, उन्हें परेशान किया जा रहा है। उनके नाम जबरदस्ती काटकर उन्हें खतरे में डालने की कोशिश की जा रही है। मेरी मां और बहन दूसरे बूथ की वोटर हैं। उनके नाम भी गायब हैं।” दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने इस बारे में अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है कि एक सांसद के परिवार के सदस्यों के नाम ड्राफ्ट लिस्ट से कैसे हटा दिए गए।
इनपुट- मीडिया चैनल/दीपंकर दास
