फिल्म 'इन गलियों में': हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की कहानी
फिल्म का परिचय

इन गलियों में… का पोस्टर
हिंदू-मुस्लिम एकता पर आधारित कई हिंदी फिल्में बनाई गई हैं, और यह परंपरा आजादी से पहले से चली आ रही है। अनिवाश दास की फिल्म 'इन गलियों में' इस समय में रिलीज हो रही है जब हिंदू-मुस्लिम मुद्दा सामाजिक और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बना हुआ है। फिल्म में रहमान गली और हनुमान गली का चित्रण सहजता और दिलचस्पी के साथ किया गया है। इसमें सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वालों पर तीखा व्यंग्य किया गया है। यह फिल्म रमज़ान और ईद के माहौल में प्रदर्शित हो रही है, जो इसकी कहानी और समय को विशेष बनाता है।
किरदार और कहानी
फिल्म में जावेद जाफरी चायवाले शायर की भूमिका में हैं, जबकि विवान शाह, अवंतिका दसानी, इश्तियाक खान और सुशांत सिंह जैसे युवा कलाकार भी शामिल हैं। यह एक मध्यम बजट की फिल्म है, जिसमें एक विक्षिप्त किरदार का संवाद कहानी का सार प्रस्तुत करता है। यह संवाद भारत की खोज के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। फिल्म की कहानी दो गलियों से शुरू होकर पूरे देश तक फैली हुई है, जिसमें सब्जी बेचने वाले प्रेमी जोड़े की कहानी तनाव के बीच प्रेम के गीत की तरह है।
कहानी का आधार
फिल्म का बैकड्रॉप लखनऊ के एक कस्बाई इलाके में है, जहां हनुमान गली में हिंदू और रहमान गली में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे के सुख-दुख में मदद करते हैं। कहानी होली के रंगों से शुरू होती है और ईद की रात एक गंभीर घटना के साथ समाप्त होती है।
मुख्य किरदारों में हरि राम (विवान शाह) और शब्बो (अवंतिका दसानी) शामिल हैं, जो सब्जियां बेचते हैं और एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। मजहब उनके रिश्ते में बाधा डालता है। मिर्जा (जावेद जाफरी) एक बुजुर्ग चायवाला है, जो शायरी के माध्यम से प्रेम का संदेश फैलाता है। चुनावी समय में सियासत दोनों समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश करती है।
संवाद और निर्देशन
पुनर्वसु की लिखी पटकथा और अविनाश दास के निर्देशन में फिल्म में हिंदी, उर्दू और अवधि का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यह फिल्म समसामयिक मुद्दों पर प्रकाश डालती है और संवादों में कई बार समसामयिकता का अनुभव होता है।
हालांकि, फिल्म की प्रस्तुति में कुछ कमजोरियां भी हैं। इसकी कहानी साहित्यिक है, लेकिन इसकी मेकिंग कमर्शियल फॉर्मेट में हुई है। फिल्म गंभीर संदेश देती है, लेकिन कभी-कभी हल्की-फुल्की भी हो जाती है।