फिरोजाबाद फैक्ट्री में सुरक्षा उल्लंघन की जांच शुरू, विदेशी नागरिक की अनधिकृत एंट्री पर चिंता

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में एक ऑर्डनेंस फैक्ट्री में सुरक्षा उल्लंघन की जांच शुरू हो गई है। एक दक्षिण अफ्रीकी नागरिक की अनधिकृत एंट्री और कर्मचारियों द्वारा संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोपों ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। यह मामला न केवल एक फैक्ट्री की सुरक्षा को प्रभावित करता है, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन गया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 | 
फिरोजाबाद फैक्ट्री में सुरक्षा उल्लंघन की जांच शुरू, विदेशी नागरिक की अनधिकृत एंट्री पर चिंता

सुरक्षा उल्लंघन की गंभीरता

उत्तर प्रदेश पुलिस ने फिरोजाबाद स्थित हज़रतपुर ऑर्डनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री में संभावित सुरक्षा उल्लंघन और आंतरिक तोड़फोड़ की जांच आरंभ कर दी है। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब एक अमेरिकी एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी के दक्षिण अफ्रीकी कर्मचारी थॉमस फ़र्डिनेंड ऐडलम (60) बिना किसी आधिकारिक अनुमति के फैक्ट्री परिसर में घुस गए। यह फैक्ट्री भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 विमानों के लिए ब्रेक पैराशूट तकनीक पर काम कर रही है और गगनयान अंतरिक्ष परियोजना तथा ड्रोन विकास जैसे संवेदनशील कार्यक्रमों में भी शामिल है। ऐसे में यह सुरक्षा उल्लंघन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।


अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप

एक अंग्रेजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, ऐडलम 24 से 28 फरवरी तक भारत में टूरिस्ट वीजा पर थे। सुरक्षा अधिकारी और पूर्व नौसेना अधिकारी राघव शर्मा ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई कि ऐडलम को दो वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से फैक्ट्री में प्रवेश दिया गया। इन अधिकारियों में हिम्मतलाल कुमावत (उप महाप्रबंधक, IOFS 2011 बैच) और विपिन कठियार शामिल हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेशी नागरिक को फैक्ट्री में प्रवेश कराया।


सुरक्षा अधिकारी के साथ विवाद

रिपोर्ट के अनुसार, जब सुरक्षा अधिकारी शर्मा ने ऐडलम को अनुमति देने से मना किया, तो कुमावत ने उन पर दबाव डालने की कोशिश की। 21 फरवरी को दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि हिम्मतलाल कुमावत ने कथित रूप से राघव शर्मा पर उनके कार्यालय में हमला कर दिया, जिसके बाद गार्ड और अनुबंध कर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा।


संवेदनशील दस्तावेजों का लीक

यह घटना तब हुई जब फैक्ट्री से जुड़े चार्जमैन रविंद्र कुमार को एटीएस ने 14 मार्च को गिरफ्तार किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने मोबाइल से संवेदनशील दस्तावेज़ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े एजेंट को भेजे। जांच में यह भी सामने आया कि हिम्मतलाल कुमावत और विपिन ने पहले भी कर्मचारियों को फैक्ट्री परिसर में मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति दी थी, जबकि यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है।


अदालत का आदेश और पुलिस की कार्रवाई

रिपोर्ट के अनुसार, फिरोजाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नरेश कुमार दिवाकर ने 8 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी विदेशी को बिना अनुमति रक्षा प्रतिष्ठान में प्रवेश देना एक संज्ञेय अपराध है। अदालत ने तुरंत एफआईआर दर्ज करने और 24 घंटे में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। हालांकि, टुंडला थाने को आदेश की प्रति 22 अगस्त को ही मिली, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कानूनी कार्रवाई में देरी हुई।


राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा

ऐडलम की अनधिकृत एंट्री और कर्मचारियों द्वारा मोबाइल का उपयोग दोनों घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि अंदरूनी स्तर पर गंभीर लापरवाहियाँ या जानबूझकर तोड़फोड़ हो रही है। चूंकि यह फैक्ट्री भारतीय वायुसेना और इसरो की परियोजनाओं से जुड़ी है, इसलिए किसी भी प्रकार का डेटा लीक सीधे रणनीतिक खतरा पैदा कर सकता है। अदालत के आदेश के बावजूद पुलिस द्वारा देर से कार्रवाई यह दर्शाती है कि सुरक्षा मामलों में संवेदनशीलता की कमी है। एक अमेरिकी डिफेंस कंपनी का कर्मचारी, दक्षिण अफ्रीकी नागरिक, टूरिस्ट वीजा पर रक्षा प्रतिष्ठान में पहुँचना केवल व्यक्तिगत लापरवाही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय खुफिया गतिविधियों से जुड़े होने की संभावना भी दर्शाता है।


आंतरिक खतरे का खुलासा

फिरोजाबाद ऑर्डनेंस फैक्ट्री का यह मामला भारत की रक्षा सुरक्षा व्यवस्था में आंतरिक खतरे को उजागर करता है। विदेशी नागरिक का अनधिकृत प्रवेश, कर्मचारियों द्वारा मोबाइल से संवेदनशील जानकारी साझा करना और वरिष्ठ अधिकारियों का कथित सहयोग—ये सब मिलकर गहरी चिंता पैदा करते हैं। यह घटना केवल एक फैक्ट्री की नहीं, बल्कि देश की रणनीतिक सुरक्षा संरचना की मजबूती पर सवाल उठाती है। यदि समय रहते सख्त कार्रवाई और सुधार नहीं हुए, तो भारत की रक्षा परियोजनाएँ गंभीर खतरे में पड़ सकती हैं।