फिजियोथेरेपी: हड्डियों की बीमारियों में राहत का एक प्रभावी उपाय

हड्डियों की बीमारियाँ जैसे ऑस्टियोपोरोसिस और आर्थराइटिस आजकल आम होती जा रही हैं। फिजियोथेरेपी इन समस्याओं के उपचार में एक प्रभावी उपाय है। यह न केवल दर्द को कम करती है, बल्कि मांसपेशियों को मजबूत बनाने में भी मदद करती है। जानें कि कैसे नियमित फिजियोथेरेपी और सही जीवनशैली अपनाकर आप हड्डियों की सेहत को बेहतर बना सकते हैं। इस लेख में हम फिजियोथेरेपी के लाभ और हड्डियों की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण सुझाव साझा कर रहे हैं।
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फिजियोथेरेपी: हड्डियों की बीमारियों में राहत का एक प्रभावी उपाय

हड्डियों की बीमारी और फिजियोथेरेपी

फिजियोथेरेपी: हड्डियों की बीमारियों में राहत का एक प्रभावी उपाय

हड्डियों की बीमारी और फिजियोथेरेपीImage Credit source: Getty Images

हड्डियों से जुड़ी बीमारियाँ, जोड़ों और मांसपेशियों को प्रभावित करती हैं, जिससे दर्द, जकड़न, सूजन और चलने में कठिनाई होती है। ये समस्याएँ आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती हैं, लेकिन आजकल की जीवनशैली, पोषण की कमी और गलत बैठने की आदतों के कारण युवा भी प्रभावित हो रहे हैं। महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है। बुजुर्गों में हड्डियों की घनत्व में कमी और गिरने की घटनाएँ फ्रैक्चर का कारण बन सकती हैं। बच्चों में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी से हड्डियों का विकास प्रभावित हो सकता है। समय पर पहचान और उपचार न मिलने पर ये समस्याएँ लंबे समय तक बनी रह सकती हैं और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।

हड्डियों की कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटाइड आर्थराइटिस, फ्रैक्चर, बोन इंफेक्शन और स्पाइन से जुड़ी समस्याएँ। इन बीमारियों के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे उम्र, पौष्टिक आहार की कमी, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी, लंबे समय तक बैठे रहना, शारीरिक गतिविधियों की कमी, चोट, आनुवंशिक कारक और कुछ चिकित्सा स्थितियाँ। महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हड्डियों की घनत्व तेजी से घटती है। युवा पीढ़ी में मोबाइल और लैपटॉप पर झुककर बैठने की आदतें रीढ़ और जोड़ों की समस्याओं को बढ़ा रही हैं। समय पर उचित देखभाल और व्यायाम न करने से ये समस्याएँ गंभीर हो सकती हैं।

फिजियोथेरेपी का महत्व

MMG जिला अस्पताल, गाजियाबाद के फिजियोथेरेपी विभाग के प्रमुख, सैयद जौहर अली नक़वी के अनुसार, फिजियोथेरेपी हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं के उपचार में एक प्रभावी विधि है। यह शरीर की गति को सुधारने, दर्द को कम करने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक होती है। हड्डियों की बीमारियों में मरीजों को अक्सर चलने में कठिनाई, जकड़न या दर्द का सामना करना पड़ता है, ऐसे में दवाओं के साथ नियमित फिजियोथेरेपी से तेजी से राहत मिलती है। ऑस्टियोपोरोसिस में हल्के व्यायाम और बैलेंस ट्रेनिंग से हड्डियों पर दबाव कम होता है और गिरने की संभावना घटती है।

फ्रैक्चर के बाद फिजियोथेरेपी मांसपेशियों को सक्रिय करने और जोड़ों की गतिशीलता को पुनः प्राप्त करने में मदद करती है। आर्थराइटिस के मरीजों में यह सूजन और जकड़न को कम कर जोड़ों को लचीला बनाती है। नियमित थेरेपी से पेन किलर दवाओं पर निर्भरता कम होती है और रिकवरी की गति बढ़ती है। सही व्यायाम तकनीक और मार्गदर्शन से मरीज अपनी दैनिक गतिविधियों में जल्दी लौट सकते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें

रोजाना हल्की शारीरिक गतिविधि या वॉक को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर पौष्टिक आहार लें।

गलत पोजीशन में बैठने या झुककर काम करने से बचें।

यदि हड्डियों में दर्द, सूजन या अकड़न महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

धूम्रपान और शराब जैसी आदतों से दूर रहें, ये हड्डियों को कमजोर करती हैं।

यदि उम्र या किसी चोट के कारण हड्डियों में बदलाव दिखे, तो फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लें।

गिरने से बचने के लिए घर में फर्श को सूखा रखें और पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करें.