फिजियोथेरेपिस्ट्स के लिए 'डॉक्टर' उपसर्ग का उपयोग प्रतिबंधित

स्वास्थ्य मंत्रालय के DGHS ने फिजियोथेरेपिस्ट्स को 'डॉक्टर' उपसर्ग का उपयोग करने से रोक दिया है। इस निर्णय के पीछे कई संगठनों की आपत्तियाँ और कानूनी राय शामिल हैं। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी और इसके संभावित प्रभाव।
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फिजियोथेरेपिस्ट्स के लिए 'डॉक्टर' उपसर्ग का उपयोग प्रतिबंधित

स्वास्थ्य मंत्रालय का निर्देश

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने स्पष्ट किया है कि फिजियोथेरेपिस्ट्स 'डॉक्टर' उपसर्ग का उपयोग नहीं कर सकते। इस संगठन ने बताया कि 'डॉक्टर' उपसर्ग केवल पंजीकृत चिकित्सा पेशेवरों के लिए आरक्षित है और इस मामले की आगे की जांच की जा रही है।


आधिकारिक पत्र का विवरण

DGHS की डॉ. सुनीता शर्मा द्वारा भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि एक आधिकारिक समिति ने यह दोहराया है कि फिजियोथेरेपी में योग्यताएं रखने वाले व्यक्तियों को 'डॉक्टर' उपसर्ग का उपयोग नहीं करना चाहिए।


समिति की सिफारिशें


पत्र में कहा गया है कि 'डॉक्टर' उपसर्ग का उपयोग फिजियोथेरेपी के लिए स्वीकृत पाठ्यक्रम से तुरंत हटा दिया जाए। फिजियोथेरेपी के स्नातकों और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए एक अधिक उपयुक्त और सम्मानजनक शीर्षक पर विचार किया जा सकता है, जिससे मरीजों या जनता में कोई भ्रम न हो।


विभिन्न संगठनों की आपत्तियाँ

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि DGHS को कई संगठनों से 'डॉक्टर' उपसर्ग के उपयोग के खिलाफ कई अपीलें और ठोस असहमति प्राप्त हुई हैं। इनमें भारतीय भौतिक चिकित्सा और पुनर्वास संघ (IAPMR) भी शामिल है।


सामान्य निकाय ने एक कानूनी राय भी प्राप्त की, जिसमें कहा गया कि कोई भी फिजियोथेरेपिस्ट यदि 'डॉक्टर' शीर्षक का उपयोग करता है बिना मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता के, तो वह भारतीय चिकित्सा डिग्री अधिनियम, 1916 के प्रावधानों का उल्लंघन करेगा।


कानूनी राय और समिति की पुष्टि

इस कानूनी राय को 23 मार्च 2004 को परिषद की बैठक में अपनाया गया था। इसके अनुसार, समिति ने दोहराया कि फिजियोथेरेपी में योग्यताएं रखने वाले व्यक्तियों को किसी भी परिस्थिति में 'डॉक्टर' उपसर्ग का उपयोग करने का अधिकार नहीं है।