फारूक अब्दुल्ला का बयान: ऑपरेशन सिंदूर से कुछ हासिल नहीं हुआ

फारूक अब्दुल्ला, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, ने ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। अब्दुल्ला ने नौगाम विस्फोट के बाद स्वतंत्र जांच की मांग की और कश्मीरी निवासियों पर उठ रहे संदेह का भी उल्लेख किया। उनका यह बयान उस समय आया है जब केंद्र सरकार ने दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट को आतंकवादी हमला करार दिया है। जानें उनके विचार और इस मुद्दे पर उनका दृष्टिकोण।
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फारूक अब्दुल्ला का बयान: ऑपरेशन सिंदूर से कुछ हासिल नहीं हुआ

फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान

फारूक अब्दुल्ला का बयान: ऑपरेशन सिंदूर से कुछ हासिल नहीं हुआ

फारूक अब्दुल्ला

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपने रिश्तों में सुधार लाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में कहा कि इससे कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है।

शनिवार (15 नवंबर) को अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर भारत के हमले, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कहा गया, का कोई लाभ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इससे केवल जानमाल का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी घटनाएं नहीं होंगी। इससे कुछ हासिल नहीं हुआ। हमारे लोग मारे गए और हमारी सीमाएं कमजोर हुईं। मुझे उम्मीद है कि दोनों देश अपने संबंधों में सुधार करेंगे। यही एकमात्र रास्ता है।’

‘पड़ोसी बदल नहीं सकते’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन से दोनों देशों और नियंत्रण रेखा पर शांति को खतरा होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि शत्रुता और सैन्य दृष्टिकोण दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों के लिए फायदेमंद नहीं हो सकते। अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध पंक्ति का उल्लेख करते हुए कहा, ‘दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं।’ उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत फिर से शुरू करने और स्थायी शांति की दिशा में काम करने का आग्रह किया।

नौगाम विस्फोट के बाद की प्रतिक्रिया

यह बयान जम्मू-कश्मीर के नौगाम में एक पुलिस थाने में हुए विस्फोट के बाद आया है, जिसमें कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई और 29 अन्य घायल हुए। यह विस्फोट उस समय हुआ जब एक पुलिस दल, मजिस्ट्रेट और फोरेंसिक विशेषज्ञ लाल किला विस्फोट की जांच कर रहे थे।

जांच की मांग

फारूक अब्दुल्ला ने नौगाम पुलिस स्टेशन विस्फोट की स्वतंत्र और गहन जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि विस्फोटक को संभालने में हुई गलतियों के कारण यह त्रासदी हुई, जिसमें 9 लोगों की जान गई और कई आवासीय संरचनाएं भी क्षतिग्रस्त हुईं। उन्होंने स्थानीय अधिकारियों की आलोचना की और कहा कि पहले विशेषज्ञों से सलाह ली जानी चाहिए थी।

‘यह हमारी गलती है’

उन्होंने कहा, ‘यह हमारी गलती है कि हमने विस्फोटक को संभालने में विशेषज्ञों से सलाह नहीं ली। नतीजा आपके सामने है, 9 लोगों की जान गई और कई घरों को नुकसान हुआ।’

कश्मीरी निवासियों पर संदेह

अब्दुल्ला ने नौगाम विस्फोट के परिणाम को हाल ही में दिल्ली में हुए विस्फोट के बाद कश्मीरी निवासियों पर उठ रहे संदेह से जोड़ा। उन्होंने कहा, ‘हम अभी दिल्ली के संकट से बाहर नहीं निकले हैं, जहां हर कश्मीरी पर उंगलियां उठाई जा रही हैं। कब लोग स्वीकार करेंगे कि हम भारतीय हैं और इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं?’

अब्दुल्ला का यह बयान उस समय आया है जब केंद्र सरकार ने 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट को आतंकवादी हमला करार दिया है और इसके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।