फरीदाबाद में व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा: एनआईए की कार्रवाई

फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी में एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा हुआ है, जिसमें डॉ. मुज्जमिल की गिरफ्तारी के बाद सबूत मिटाने की कोशिशें की गईं। एनआईए ने जांच में डॉ. उमर के कमरे से एक टूटे हुए टैबलेट के हिस्से बरामद किए हैं, जिसमें आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ थीं। इस मॉड्यूल में शामिल डॉक्टरों को जिहाद के विचारों से भरने का काम 2019 से चल रहा था। जांच में यह भी सामने आया है कि ये डॉक्टर सीरिया या अफगानिस्तान में शामिल होने की इच्छा रखते थे।
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फरीदाबाद में व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा: एनआईए की कार्रवाई

व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा

फरीदाबाद में व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा: एनआईए की कार्रवाई

फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल के संदर्भ में डॉ. मुज्जमिल की गिरफ्तारी के बाद अन्य संदिग्ध आतंकियों ने सबूत नष्ट करने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। एनआईए ने यूनिवर्सिटी के परिसर में डॉ. उमर के कमरे से एक टूटे हुए टैबलेट के हिस्से बरामद किए हैं।

सूत्रों के अनुसार, डॉ. मुज्जमिल की गिरफ्तारी के बाद डॉ. उमर और बिलाल ने इस टैबलेट को तोड़ दिया था। इस टैबलेट में बिलाल जसीर वानी द्वारा बनाए गए मोडिफाइड ड्रोन और रॉकेट के स्केच मौजूद थे। इसके अलावा, इस टैबलेट में आतंकवादी मॉड्यूल से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी थीं, जिसके कारण इसे नष्ट किया गया।

एनआईए की टीम ने 23 दिसंबर की शाम को उस समय कार्रवाई की जब वे दिल्ली बम धमाके के संदिग्ध आतंकी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश को लेकर अल फलाह यूनिवर्सिटी पहुँचे।

टीम ने लगभग दो घंटे तक यूनिवर्सिटी के विभिन्न क्षेत्रों में आरोपी से निशानदेही कराई। इसी दौरान, दिल्ली धमाके में मारे गए डॉ. उमर के कमरे से टूटे हुए टैबलेट के हिस्से मिले।

आरोपी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश अल फलाह यूनिवर्सिटी में पीडियाट्रिक्स में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में कार्यरत था। एनआईए की जांच में यह सामने आया कि जसीर ने डॉ. उमर को आतंकवादी हमलों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की थी। दिल्ली धमाके से पहले, जसीर ने मोडिफाइड ड्रोन और रॉकेट बनाने का प्रयास भी किया था।

2019 से आतंक की राह पर चल रहे डॉक्टर

सफेदपोश आतंकियों के इस मॉड्यूल में शामिल डॉक्टरों को जिहाद के विचारों से भरने का काम 2019 से शुरू हुआ था। सीमा पार से सक्रिय आतंकियों का यह नेटवर्क सोशल मीडिया के माध्यम से कट्टरपंथ का प्रचार कर रहा था। जांचकर्ताओं ने बताया कि पाकिस्तान और अन्य देशों में बैठे आतंकवादी उच्च शिक्षित पेशेवरों को डिजिटल माध्यमों से आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार कर रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील राथर, डॉ. मुजफ्फर राथर और डॉ. उमर नबी से शुरू में सीमा पार के आकाओं ने फेसबुक और एक्स जैसे प्लेटफार्मों पर संपर्क किया था। इसके बाद इन्हें टेलीग्राम पर निजी समूह में जोड़ा गया और यहीं से उन्हें बरगलाने का काम शुरू हुआ। इस मॉड्यूल के मुख्य हैंडलर उकासा, फैजान और हाशमी हैं, जो विदेश से गतिविधियों का संचालन कर रहे थे।

डॉक्टरों की सीरिया जाने की इच्छा
जांच एजेंसियों के अनुसार, डॉक्टरों ने पहले सीरिया या अफगानिस्तान जैसे संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में आतंकवादी समूहों में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन बाद में उनके आकाओं ने उन्हें भारत में ही रहने और आंतरिक क्षेत्रों में विस्फोट करने के लिए कहा।

हैंडलर एआई से बने वीडियो दिखाकर बरगलाते हैं
2018 के बाद से आतंकवादी समूहों ने भर्ती के लिए रणनीतिक बदलाव किया है। ये समूह डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से लोगों को भर्ती करने का प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, भर्ती के इच्छुक लोगों को टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग एप पर निजी समूह में जोड़ा जाता है और फिर उन्हें एआई से बने वीडियो दिखाकर बरगलाया जाता है।

यह था मामला
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर 2025 को शाम 6:52 बजे कार बम धमाका हुआ था। इस हमले ने देश को हिला कर रख दिया था। इस आतंकवादी हमले में कुल 15 लोगों की जान गई, जिसमें हमलावर भी शामिल था, और 20 से अधिक लोग घायल हुए थे। धमाके में आसपास की कई गाड़ियाँ भी जल गई थीं। इस धमाके की जांच में एनआईए शामिल हुई और कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया।