फरीदाबाद में आतंकवाद की नई साजिश: डॉक्टरों का मॉड्यूल उजागर

फरीदाबाद में आतंकवाद फैलाने की साजिश का खुलासा हुआ है, जिसमें डॉक्टरों का एक मॉड्यूल शामिल है। जांच में पता चला है कि साधारण उपकरणों का दुरुपयोग कर विस्फोटक तैयार किए जा रहे थे। सुरक्षा एजेंसियों ने इस खतरे को गंभीरता से लिया है और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी है। यह मामला आतंकवाद की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जहां आतंकी संगठन अब विश्वविद्यालयों और सामान्य घरों का उपयोग कर रहे हैं।
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फरीदाबाद में आतंकवाद की नई साजिश: डॉक्टरों का मॉड्यूल उजागर

फरीदाबाद में आतंकवाद का नया चेहरा

फरीदाबाद में आतंकवाद फैलाने की योजना से जुड़े मामलों में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं, जो बेहद चौंकाने वाले हैं। हाल ही में पता चला है कि धौज गांव के एक साधारण घर में आतंक का पाउडर तैयार किया जा रहा था। यह जानकारी दिल्ली कार ब्लास्ट की जांच के दौरान सामने आई है। डॉक्टर मुजम्मिल और उसके साथी उमर उन नबी पर आरोप है कि उन्होंने एक आटा चक्की को केमिकल ग्राइंडर में बदलकर विस्फोटक बनाने की तैयारी की थी। पुलिस द्वारा बरामद की गई तस्वीरें और मशीनरी इस बात का संकेत देती हैं कि आतंकी मॉड्यूल कितनी चतुराई से रोजमर्रा के उपकरणों का दुरुपयोग कर रहे थे।


आतंकवाद की योजना और उपकरणों का दुरुपयोग

आटा चक्की, जो सामान्यतः अनाज पीसने के लिए उपयोग होती है, का इस्तेमाल रसायनों को विस्फोटक में बदलने के लिए किया गया। जांच अधिकारियों के अनुसार, घटनास्थल से लगभग 3,000 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य रसायन बरामद हुए हैं, जो बड़े पैमाने पर विस्फोटों की योजना की ओर इशारा करते हैं। मुजम्मिल ने यह कमरा मात्र ₹1,500 में किराए पर लिया था, और पहले ही 2,600 किलो अतिरिक्त अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया था। दोनों आरोपियों के पास मिली डायरी और नोटबुक में “operation” शब्द बार-बार लिखा गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कई हमलों की योजना बनाई जा रही थी।


सुरक्षा जोखिम और नई चुनौतियाँ

इस पूरे मामले ने तीन प्रमुख सुरक्षा जोखिमों को उजागर किया है। पहला, सामान्य उपकरणों का दुरुपयोग, जैसे आटा चक्की और गैस सिलेंडर, जो अब आतंकियों के हथियार बन गए हैं। दूसरा, कैंपस और हॉस्टल आतंक के नए अड्डे बनते जा रहे हैं, जैसा कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी के हॉस्टल से बरामद विस्फोटक और मशीनरी से स्पष्ट है। तीसरा, लंबे समय तक चलने वाली ‘स्लीपर प्लानिंग’ है, जो दर्शाती है कि यह मॉड्यूल पिछले दो वर्षों से सक्रिय था। सुरक्षा एजेंसियों को अब केवल हथियारों पर ध्यान नहीं देना होगा, बल्कि ऐसे सामाजिक-तकनीकी नेटवर्क की पहचान करनी होगी जो साधारण दिखते हैं लेकिन बेहद खतरनाक हो सकते हैं।


सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता

दिल्ली और फरीदाबाद में उजागर हुए मॉड्यूल के बाद, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी सावधानी और सख्ती बढ़ा दी है। जम्मू, कठुआ और सांबा जिलों में भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट बड़े पैमाने पर सुरक्षा अभ्यास किया गया है, जिसका उद्देश्य घुसपैठ रोकना और आतंकी गतिविधियों की संभावित श्रृंखलाओं को तोड़ना है।


आतंकवाद की दिशा में बदलाव

दिल्ली ब्लास्ट के सफेदपोश मॉड्यूल के उजागर होने के बाद, श्रीनगर और अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सकों और कर्मचारियों के लॉकरों की जांच जारी है। यह स्पष्ट है कि दिल्ली ब्लास्ट और फरीदाबाद मॉड्यूल की जांच ने भारत में आतंकवाद की दिशा को बदल दिया है। आतंकी संगठन अब विश्वविद्यालयों, अस्पतालों और सामान्य घरों का उपयोग अपनी आड़ के रूप में कर रहे हैं। कश्मीर से दिल्ली तक फैली हालिया कार्रवाइयों से यह स्पष्ट है कि सरकार अब इस खतरे को एक बड़े, संगठित नेटवर्क के रूप में देख रही है और उसी के अनुसार सख्ती बढ़ाई जा रही है।