फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में आतंकवाद से जुड़े गिरफ्तारियां: छात्रों की चिंता बढ़ी

फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में आतंकवाद से जुड़े डॉक्टरों की गिरफ्तारी ने छात्रों में चिंता का माहौल बना दिया है। कॉलेज की छवि को लेकर छात्रों की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि उन्होंने यहां पढ़ाई के लिए भारी निवेश किया है। कॉलेज प्रशासन की चुप्पी और छात्रों की भविष्य को लेकर आशंकाएं इस मामले को और गंभीर बनाती हैं। क्या यह केवल एक व्यक्ति की गलती है, या यह एक व्यापक समस्या का संकेत है? जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
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फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में आतंकवाद से जुड़े गिरफ्तारियां: छात्रों की चिंता बढ़ी

अल-फलाह मेडिकल कॉलेज की विवादास्पद गिरफ्तारी

फरीदाबाद के धौज में स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार कारण कोई शैक्षणिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि आतंकवाद से संबंधित गिरफ्तारियां हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस कॉलेज के इमरजेंसी विंग में कार्यरत जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर मुजम्मिल गनई को एक अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय आतंकी मॉड्यूल से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इसके अलावा, दो अन्य डॉक्टर, शाहीन अंसारी और उमर नबी को भी इस मामले में शामिल किया गया है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी का संचालन 2014 से अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है, और इसकी कुलपति डॉ. भूपिंदर कौर आनंद हैं।


छात्रों की चिंताएं और कॉलेज की छवि

कॉलेज के छात्र इस घटनाक्रम से काफी परेशान हैं। एक छात्र ने कहा, "हमने यहां पढ़ाई के लिए एक करोड़ रुपये खर्च किए हैं, और हॉस्टल का सालाना किराया तीन लाख रुपये है। अगर कॉलेज की छवि खराब होती है, तो हमें नौकरी कैसे मिलेगी?" छात्रों का कहना है कि मुजम्मिल से उनका कोई खास संपर्क नहीं था। एक तीसरे वर्ष के एमबीबीएस छात्र ने बताया, "वह इमरजेंसी में काम करते थे, इसलिए हमें कभी पढ़ाया नहीं। उनकी गिरफ्तारी की खबर से ही हमें उनके बारे में पता चला।"


गिरफ्तारी के बाद की स्थिति

एक अन्य छात्र ने बताया कि उसने डॉ. उमर को हाल ही में पढ़ाते देखा था। उसने कहा कि वे शांत स्वभाव के थे और क्लास अच्छी लेते थे। डॉ. मुजम्मिल क्लास बहुत कम लेते थे, लेकिन डॉ. शाहीन हमारी फार्माकोलॉजी की एमडी थीं। छात्र ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हमारे कॉलेज से अब तक कोई प्रसिद्ध डॉक्टर नहीं निकला। अब इन गिरफ्तारियों के बाद कौन हमें नौकरी देगा?"


कॉलेज प्रशासन की चुप्पी

कॉलेज प्रशासन से संपर्क करने की कोशिशों के बावजूद, विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, "अस्पताल में कई कश्मीरी डॉक्टर काम करते हैं। जो इंटर्न्स डॉ. उमर के साथ रहे, उनका कहना है कि वे बेहद बुद्धिमान और प्रोफेशनल थे।" एक छात्र ने कहा, "कॉलेज में क्लास और एग्ज़ाम जारी हैं। यहां कुछ भी रुकता नहीं है।" हालांकि, कॉलेज ने आरोपों से इंकार करते हुए एक बयान जारी किया है।


संस्थान की प्रतिष्ठा पर सवाल

फरीदाबाद का अल-फलाह मेडिकल कॉलेज, जो मानवता की सेवा का दावा करता है, अब एक ऐसे मामले का केंद्र बन गया है जहाँ एक डॉक्टर को आतंकवादी के रूप में गिरफ्तार किया गया है। यह घटना केवल कानून व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि शिक्षा प्रणाली की गिरावट का भी संकेत है। जब एक डॉक्टर, जिसे मरीजों की जान बचाने के लिए प्रशिक्षित किया गया हो, बारूद के साथ पकड़ा जाता है, तो यह केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं, बल्कि पूरी प्रणाली की खामी का प्रमाण है।


आवश्यकता है सुरक्षा की पुनः जांच की

अल-फलाह ट्रस्ट और विश्वविद्यालय प्रशासन की चुप्पी गंभीर चिंता का विषय है। किसी भी जिम्मेदार संस्था को इस तरह की गिरफ्तारी के बाद तुरंत खुली जांच और पारदर्शी बयान देना चाहिए था। छात्रों का डर वाजिब है कि एक या दो लोगों की गलती से पूरे संस्थान की साख प्रभावित हो सकती है। अगर देश की मेडिकल यूनिवर्सिटियों में ऐसे नेटवर्क पनप रहे हैं, तो यह केवल एक पुलिस केस नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकट है। अब समय आ गया है कि सरकार मेडिकल संस्थानों की सुरक्षा और पहचान की पुनः जांच करे।