फडणवीस ने शिवसेना-एमएनएस गठबंधन को किया खारिज, कहा राजनीतिक प्रासंगिकता खत्म

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस के गठबंधन को खारिज करते हुए कहा कि यह राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों पार्टियों ने तुष्टीकरण की राजनीति अपनाकर अपनी प्रासंगिकता खो दी है। फडणवीस ने यह भी कहा कि जनता ने उनके कार्यों को देखा है और महायुति चुनाव में सफल होगी। इस बीच, राज ठाकरे ने दोनों पार्टियों के एक साथ आने की घोषणा की, जो पहचान की राजनीति के पुनरुत्थान का संकेत देती है।
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फडणवीस ने शिवसेना-एमएनएस गठबंधन को किया खारिज, कहा राजनीतिक प्रासंगिकता खत्म

मुख्यमंत्री का बयान

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के बीच गठबंधन को अस्वीकार करते हुए कहा कि ये दोनों पार्टियां अब राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हो चुकी हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह गठबंधन एक ऐतिहासिक घटना के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है।


फडणवीस ने उदाहरण देते हुए कहा, "वे इस तरह का प्रचार कर रहे हैं जैसे रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता हो रही हो, जिसमें दोनों नेता आमने-सामने हों। यह प्रचार जानबूझकर किया जा रहा है।"


तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि शिवसेना और एमएनएस ने तुष्टीकरण की राजनीति अपनाकर अपने आप को कमजोर किया है, जिसके कारण उनके वोट बैंक में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां अपनी प्रासंगिकता खो चुकी हैं और उनके गठबंधन से जनता को कोई लाभ नहीं होगा।


फडणवीस ने यह भी कहा कि यह गठबंधन विचारधारा से नहीं, बल्कि राजनीतिक हताशा से प्रेरित है।


महायुति की संभावनाएं

मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि जनता ने उनके कार्यों को देखा है और इसी आधार पर महायुति चुनाव में सफल होगी। इससे पहले, ठाकरे भाई राज और उद्धव ने बालासाहेब ठाकरे को श्रद्धांजलि देने के बाद आगामी बीएमसी चुनावों के लिए गठबंधन की घोषणा की।


राज ठाकरे का बयान

एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र लंबे समय से इस क्षण का इंतजार कर रहा था, जब शिवसेना और एमएनएस एक साथ आएंगे। यूबीटी सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम एक साथ रहने के लिए आए हैं।"


दोनों पार्टियों का एक साथ आना यह दर्शाता है कि पहचान की राजनीति फिर से प्रमुख होगी। उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट किया कि मराठी मानुष की आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाएगा और महाराष्ट्र के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।