प्लास्टिक मुक्त भविष्य की दिशा में कदम: मगिलिगन फाउंडेशन का पर्यावरण सप्ताह

इंदौर में आयोजित पर्यावरण सप्ताह में मगिलिगन फाउंडेशन ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण चर्चाएँ कीं। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली और सस्टेनेबल कृषि के महत्व पर जोर दिया। डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपने निवास को कचरा मुक्त बनाया। इस कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने स्वास्थ्य पर प्लास्टिक के प्रभाव और जैविक उत्पादों की उपलब्धता पर भी चर्चा की।
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प्लास्टिक मुक्त भविष्य की दिशा में कदम: मगिलिगन फाउंडेशन का पर्यावरण सप्ताह

इंदौर में पर्यावरण सप्ताह का आयोजन

इंदौर, 15 मई 2025 में विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के अवसर पर जिम्मी एंड जनक मगिलिगन फाउंडेशन द्वारा पर्यावरण सप्ताह परिसंवाद का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग प्राइवेट लिमिटेड के परिसर में हुआ। कार्यक्रम की संयोजक, पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए UNEP के वैश्विक आह्वान का उल्लेख करते हुए प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली की आवश्यकता पर जोर दिया।


प्लास्टिक और कचरा मुक्त जीवनशैली

डॉ. जनक मगिलिगन ने बताया कि 1992 के ब्राज़ील पृथ्वी सम्मेलन से प्रेरित होकर उन्होंने बरली महिला विकास संस्थान को प्लास्टिक और कचरा मुक्त बनाने में सफलता प्राप्त की। 2011 में, उन्होंने अपने निवास को पूरी तरह से आत्मनिर्भर, कचरा मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल बनाया है, जो 50 आसपास के घरों को स्ट्रीट लाइट की सुविधा भी प्रदान करता है।


सोलर ड्रायर्स का महत्व

वरुण रहेजा, रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग प्रा. लि. के प्रमुख, ने बताया कि डॉ. जनक मगिलिगन के मार्गदर्शन में उन्हें सोलर ड्रायर्स की क्षमता का अनुभव हुआ। इस कंपनी ने हजारों किसानों को सशक्त किया है और खाद्य अपव्यय को कम करते हुए सस्टेनेबल कृषि को बढ़ावा दिया है। वे अब प्लास्टिक प्रदूषण के उन्मूलन के अभियान में सक्रिय भागीदार हैं।


आधुनिक जीवनशैली और स्वास्थ्य

वीरेंद्र गोयल, मुख्य वक्ता, ने आधुनिक जीवनशैली की छिपी हुई पर्यावरणीय लागतों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक में पैक खाना माइक्रोप्लास्टिक के रूप में शरीर में प्रवेश करता है, जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।


जैविक सेतु का योगदान

उदय भोले, जैविक सेतु के सह-संस्थापक, ने बताया कि डॉ. मगिलिगन और अम्बरीश केला के साथ मिलकर एक ऐसा मंच बनाया गया है जो स्वच्छ, जैविक और स्थानीय उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। जैविक सेतु का नामकरण स्वयं डॉ. जनक द्वारा किया गया था।


SWOT विश्लेषण और सकारात्मक बदलाव

श्री पंडित, IAS अधिकारी एवं पर्यावरणविद्, ने प्रतिभागियों को व्यक्तिगत विकास हेतु SWOT विश्लेषण की विधि समझाई और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने हेतु प्रेरित किया।


चौंकाने वाले आंकड़े

तन्मय मुखर्जी, पर्यावरण विश्लेषक, ने बताया कि हर इंसान औसतन 5 ग्राम प्लास्टिक रोज खा रहा है, जो सालाना 250 ग्राम तक पहुँचता है। उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बढ़ते बाहरी उपभोक्ता उत्पादों की बिक्री पर चिंता जताई।


कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम के अंत में वरुण रहेजा ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को सार्थक और प्रेरणादायक बताया।