प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाने वाले इंजीनियर की अनोखी पहल

प्रोफेसर सतीश कुमार ने प्लास्टिक कचरे से सस्ता पेट्रोल बनाने की एक अनोखी तकनीक विकसित की है, जो पर्यावरण की सुरक्षा में मदद कर सकती है। उनकी कंपनी प्रतिदिन 200 लीटर पेट्रोल का उत्पादन करती है, और यह प्रक्रिया बिना किसी अपशिष्ट के होती है। जानें इस तकनीक के बारे में और कैसे यह भविष्य के लिए एक सकारात्मक कदम हो सकता है।
 | 
प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाने वाले इंजीनियर की अनोखी पहल

प्लास्टिक कचरे का समाधान


प्लास्टिक का कचरा एक गंभीर समस्या है, जिससे छुटकारा पाना आसान नहीं है। यह हमारे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, विशेषकर समुद्री और पर्यटन स्थलों पर। समुद्र में मछलियों की तुलना में कचरे की मात्रा अधिक हो गई है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो पर्यावरण को बड़ा संकट झेलना पड़ सकता है। लेकिन कुछ लोग इस समस्या का समाधान खोजने में लगे हैं। प्रोफेसर सतीश कुमार ने प्लास्टिक के कचरे से सस्ता पेट्रोल बनाने की तकनीक विकसित की है, जो भविष्य के लिए एक सकारात्मक कदम हो सकता है।


प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाने वाले इंजीनियर की अनोखी पहल


45 वर्षीय प्रोफेसर सतीश कुमार, जो हैदराबाद के निवासी हैं, ने प्लास्टिक से पेट्रोल बनाने के लिए अपनी कंपनी स्थापित की है। उनकी कंपनी प्रतिदिन 200 लीटर पेट्रोल का उत्पादन करती है। प्लास्टिक को पेट्रोल में परिवर्तित करने के लिए तीन चरणों की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसे प्लास्टिक पैरोलिसिस कहा जाता है। प्रोफेसर सतीश के अनुसार, 500 किलो प्लास्टिक से 400 लीटर तेल प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में न तो पानी की आवश्यकता होती है और न ही कोई अपशिष्ट उत्पन्न होता है। यह पूरी प्रक्रिया वैक्यूम प्रणाली पर आधारित है।


प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाने वाले इंजीनियर की अनोखी पहल


प्रोफेसर सतीश का उद्देश्य केवल मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा करना है। वे चाहते हैं कि उनकी कंपनी से होने वाला लाभ पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान दे। इसके अलावा, वे इस तकनीक को अन्य व्यवसायियों के साथ साझा करने के लिए भी तैयार हैं, ताकि प्लास्टिक के कचरे से अधिक प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।


प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाने वाले इंजीनियर की अनोखी पहल


प्रोफेसर सतीश ने 2016 में इस परियोजना की शुरुआत की थी और अब तक 50 टन प्लास्टिक को तेल में परिवर्तित कर चुके हैं। उन्होंने उन प्रकार के प्लास्टिक का उपयोग किया है, जिन्हें रिसाइकिल करना संभव नहीं था। उनकी कंपनी प्लास्टिक से बने पेट्रोल को 40 रुपए प्रति लीटर की दर पर बेचती है, जो वर्तमान बाजार मूल्य का लगभग आधा है। इसके अलावा, वे डीजल और विमान ईंधन भी बना रहे हैं। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह पेट्रोल वाहनों के लिए कितना उपयुक्त है।


प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बनाने वाले इंजीनियर की अनोखी पहल


यह प्रेरणादायक है कि लोग पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रयासरत हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि इस खबर को अधिक से अधिक साझा करें ताकि प्रोफेसर सतीश कुमार की सकारात्मक सोच सभी तक पहुंच सके।