प्रेगनेंसी में आईबीएस: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में आईबीएस (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) एक सामान्य समस्या है, जिसमें पेट में दर्द, गैस और कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि प्रेगनेंसी के दौरान आईबीएस क्यों होता है, इसके लक्षण क्या हैं, और इससे बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। विशेषज्ञ डॉ. अनामिका सिंह के अनुसार, हार्मोनल बदलाव और मानसिक तनाव इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। जानें कैसे सही खानपान और जीवनशैली से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
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प्रेगनेंसी में आईबीएस: लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

प्रेगनेंसी और आईबीएस

प्रेग्नेंसी

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) एक सामान्य समस्या है, जिसमें पेट में दर्द, गैस और कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं। जानिए प्रेगनेंसी के दौरान आईबीएस क्यों होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है। महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अनामिका सिंह के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। जब प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, तो यह पाचन पर असर डालता है।

डॉ. अनामिका बताती हैं कि मानसिक तनाव भी पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, सीलिएक बीमारी जैसी स्थितियों के कारण भी आईबीएस हो सकता है। गर्भावस्था में अस्वस्थ आहार, जैसे अधिक मसालेदार या वसा युक्त भोजन, आईबीएस के लक्षणों को बढ़ा सकता है।

यदि कोई महिला अधिक मैदा, नमक, या चीनी का सेवन कर रही है, या उसकी डाइट में प्रोटीन और विटामिन की कमी है, तो यह भी आईबीएस का कारण बन सकता है। खराब जीवनशैली भी इस समस्या को जन्म देती है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अधिक व्यायाम से बचना चाहिए, लेकिन डॉक्टर की सलाह पर हल्की एक्सरसाइज और योग किया जा सकता है।

आईबीएस की प्रेगनेंसी में सामान्यता

आईबीएस महिलाओं में काफी सामान्य है, और हर 10 में से 4 महिलाओं को यह समस्या होती है। यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। गर्भावस्था के दौरान यदि किसी महिला को लगातार पेट में दर्द, ऐंठन, अधिक गैस बनना, और अपच की समस्या हो रही है, तो ये आईबीएस के लक्षण हो सकते हैं।

आईबीएस से बचने के उपाय

1. पर्याप्त पानी पिएं: दिन में कम से कम सात गिलास।

2. अपने आहार में फल और हरी सब्जियां शामिल करें।

3. दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा खाएं।

4. मानसिक तनाव से बचें।

5. डॉक्टर की सलाह पर हल्की एक्सरसाइज करें।